- पहले के बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक मजबूत होते थे, क्योंकि वे शाम को दोस्तों के साथ खेलते थे।
- आज के बच्चे मोबाइल और गैजेट्स की दुनिया में उलझकर आउटडोर एक्टिविटी से दूर हो गए हैं।
- बाहर खेलने से बच्चों में सामाजिकता, टीमवर्क और संवाद कौशल का विकास होता है।
- मिट्टी और प्राकृतिक वातावरण में खेलने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को डिजिटल दुनिया से निकालकर वास्तविक खेलों की ओर प्रोत्साहित करें।
आज की तेज़ रफ्तार और डिजिटल होती दुनिया में बचपन स्क्रीन के पीछे कहीं खोता जा रहा है। मोबाइल, टैबलेट और टीवी ने बच्चों के आउटडोर खेलने की आदत को धीरे-धीरे खत्म कर दिया है, जिसका सीधा असर उनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो बच्चों को खुली हवा और मिट्टी में खेलने की जितनी ज़रूरत है, उतनी ही पढ़ाई और टेक्नोलॉजी से जुड़ने की।
बाहर खेलने से बच्चों को मिलते हैं ये फायदे:
- तनाव करता है दूर:
खुले मैदान में दौड़ने-भागने से बच्चों के दिमाग में डोपामिन और एंडॉर्फिन जैसे ‘हैप्पी हार्मोन’ बनते हैं, जिससे तनाव कम होता है और मूड फ्रेश रहता है। - सेहत बनती है मजबूत:
फुटबॉल, क्रिकेट या दौड़ जैसे खेलों से बच्चों की हड्डियाँ मजबूत होती हैं, मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं और इम्युनिटी बेहतर होती है। - नींद आती है अच्छी:
शारीरिक गतिविधि से थकावट होती है, जिससे रात में बच्चे बेहतर नींद लेते हैं और सुबह समय से उठते हैं। - पढ़ाई में आता है फोकस:
खेलने से दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ती है, जो एकाग्रता और मेमोरी को सुधारने में मदद करती है। इसका असर पढ़ाई में साफ दिखाई देता है। - नए दोस्त बनते हैं, आत्मविश्वास बढ़ता है:
बाहर खेलने से बच्चे सामाजिक रूप से सक्रिय होते हैं, नए दोस्त बनते हैं और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

बचपन मिट्टी, धूप और मैदानों में पनपता है — न कि मोबाइल स्क्रीन के चमकते पर्दों में। माता-पिता और अभिभावकों की ज़िम्मेदारी है कि वे बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और खुद भी उनके साथ थोड़ा वक्त मैदान में बिताएं। सिर्फ एक घंटा रोज़ का खेल आपके बच्चे का जीवन संवार सकता है।