- हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है विश्व धरोहर दिवस
- यह दिन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और जागरूकता के लिए समर्पित है
- भारत की कई ऐतिहासिक इमारतें हैं UNESCO की विश्व धरोहर सूची में
- ये धरोहरें भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वास्तुकला की समृद्ध विरासत को दर्शाती हैं
- ताजमहल, कुतुब मीनार, हम्पी, अजंता-एलोरा की गुफाएं जैसी धरोहरें शामिल हैं
नई दिल्ली : हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना और सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा देना है। इस मौके पर आज हम आपको भारत की उन 7 विश्व धरोहर स्थलों के बारे में बता रहे हैं, जो न सिर्फ देश की ऐतिहासिक पहचान हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं।
भारत की 7 प्रमुख वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स:
1- कोनार्क का सूर्य मंदिर, ओडिशा
13वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर सूर्य देव के रथ के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसमें 12 जोड़ी पहिए और 7 घोड़े हैं। यह मंदिर भारत की अद्भुत वास्तुकला और सांस्कृतिक दृष्टि को दर्शाता है।

2- ताजमहल, आगरा (उत्तर प्रदेश)
प्रेम की प्रतीक यह सफेद संगमरमर की इमारत मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाई थी। यह विश्व धरोहर स्थल आज भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान बन चुका है।

3- अजंता और एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र
ये गुफाएं प्राचीन भारतीय कला, धर्म और वास्तुकला का संगम हैं। बौद्ध, हिंदू और जैन धर्म से जुड़ी मूर्तियां और चित्र यहां प्रमुख आकर्षण हैं।

4- रानी की वाव, गुजरात
यह स्टेपवेल 11वीं शताब्दी की शानदार जल संरचना है, जिसमें बारीक नक्काशी और पौराणिक कथाओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। यह स्थापत्य और जल संरक्षण का अद्भुत उदाहरण है।

5- हुमायूं का मकबरा, दिल्ली
मुगल शैली में बनी इस इमारत ने ताजमहल के निर्माण की नींव रखी। चारों ओर हरियाली से घिरा यह मकबरा आज भी दिल्लीवासियों का प्रिय स्थल बना हुआ है।

6- फतेहपुर सीकरी, उत्तर प्रदेश
अकबर द्वारा बसाया गया यह शहर लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और इसकी वास्तुकला हिंदू-इस्लामिक शैलियों का अनूठा मेल है।

7- महाबोधि मंदिर, बोधगया (बिहार)
यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह स्थल आज भी लाखों बौद्ध अनुयायियों और पर्यटकों के लिए आस्था और शांति का केंद्र है।

संरक्षण ही समाधान:
भारत की ये ऐतिहासिक धरोहरें न केवल गौरव की प्रतीक हैं, बल्कि यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी हैं। सरकार और जनता का दायित्व है कि इन धरोहर स्थलों को संरक्षित रखा जाए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनकी भव्यता का अनुभव कर सकें।