उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए योगी सरकार के पक्ष में बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल चुनाव कराने के उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के निर्णय पर रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित ओबीसी आयोग को 31 मार्च से पहले अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण को बाधित करने की विपक्ष की कुटिल राजनीति को करारा झटका लगा है।

हाईकोर्ट द्वारा बिना ओबीसी आरक्षण के तत्काल निकाय चुनाव कराने के फैसले के बाद योगी सरकार ने कहा था कि हम बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं कराएंगे। इसके बाद सरकार ने ओबीसी आयोग का गठन किया था और हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जिस पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के तत्काल चुनाव कराने के आदेश पर रोक लगाते हुए ओबीसी आरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए गठित आयोग को तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर विपक्ष के लोगों ने बैकडोर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करवाई थी और सरकार के निर्णय को प्रभावित करने की कोशिश की थी, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया था कि प्रदेश सरकार दलित, पिछड़ा समेत समाज के सभी वर्गों के लिए समर्पित है। बिना भेदभाव के सबका साथ-सबका विकास की भावना के साथ कार्य कर रही है। इसी भाव के साथ सरकार हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है और कोर्ट ने योगी सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए ओबीसी आरक्षण को लेकर गठित आयोग के कदम को सही ठहराया है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि “माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई समय सीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी।”