उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति के लिए नई नियमावली को मंजूरी दी है, जिसमें अब डीजीपी का चयन राज्य के भीतर ही किया जाएगा और इसके लिए यूपीएससी की मंजूरी नहीं लेनी होगी। सीएम योगी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। अब एक छह सदस्यीय समिति के तहत डीजीपी का चयन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। समिति में अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी शामिल होंगे, जैसे मुख्य सचिव, यूपीएससी का एक सदस्य, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनके प्रतिनिधि, गृह विभाग के प्रमुख सचिव, और पूर्व डीजीपी।
इस नए नियमावली पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आलोचना की है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इस व्यवस्था को लागू करने वाले अधिकारी खुद अपने पद पर दो साल तक रहेंगे या नहीं। इसके साथ ही उन्होंने इसे दिल्ली और लखनऊ के बीच शक्तियों को लेकर एक नया संघर्ष बताया।
यह नियमावली डीजीपी चयन के लिए उत्तर प्रदेश को चौथा राज्य बनाती है जिसने अपने नियम खुद निर्धारित किए हैं। नियमावली के अनुसार, केवल उन आईपीएस अधिकारियों को डीजीपी नियुक्त किया जाएगा जिनका सेवा रिकॉर्ड उत्कृष्ट हो और उनके कार्यकाल के छह माह शेष हों।