सुबोधानंद फाउंडेशन के तत्वाधान में स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती जी महाराज द्वारा शबरी के राम विषय पर बौद्ध शोध संस्थान ऑडिटोरियम गोमती नगर में आज तीसरे दिन का ज्ञान यज्ञ हुआ।
आज के सत्र में प्रवचन करते हुए स्वामी जी ने बताया की प्रभु श्रीराम से मिलन का सर्वोच्च साधन शबरी माता के जीवन से प्राप्त होता है। गुरु के वचनों में बिना संशय एक अखंड निष्ठा हो, प्रेमपूर्ण प्रतीक्षा बस यही साधन हो। जब हमारा हृदय अपने आराध्य की निर्मल भाव से प्रतीक्षा करता हो, सहज ही मन प्रभु से जुड़ा रहता हो न कोई आकांक्षा न व्याकुलता केवल आनंद से भरा हृदय निश्चल नेत्रों से द्वार की ओर बाट जोहता रहता हो और आराध्य के स्वागत की तैयारी में संलग्न रहता हो और जब राम से मिलन होता है तो अनंत राम में विसर्जन हो जाता है। यह प्रतीक्षा हमारे हृदय में भी आ जाए इसके लिए भगवान कृपा करके शबरी को निमित्त बना कर नवधा भक्ति का उपदेश करते हैं।
जीवन में साधना का शुभारंभ तभी होता है जब जीवन में किसी संत का संग मिल जाए और हम उनको अपने आपको सर्वतो भवें समर्पित कर पाएं तब साधना के अगले सोपान हम बिना प्रयास के चढ़ते चले जाते हैं और हमारी अनादि जन्मों की प्रतीक्षा पूरी हो जाती है हम अपने राम से एक हो जाते हैं।
आज के सत्र में श्रीमती नीलम बजाज, श्रीमती लवानिया, सोमिन बजाज, सृजन बजाज, विनय सानंद, अतुल श्रीवास्तव, पंकज अग्रवाल, अजीत द्विवेदी के साथ अनेक श्रद्धालु भक्तों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन आरती प्रसाद के साथ हुआ।