• आज दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश होगा वक्फ संशोधन विधेयक
  • देशभर के वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का उद्देश्य
  • यूपी DGP मुख्यालय ने सभी जिलों को किया अलर्ट, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
  • विपक्ष विधेयक के खिलाफ आक्रामक, संसद में गरमागर्म बहस की संभावना
  • सरकार का दावा – वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर लगेगी रोक, पारदर्शिता बढ़ेगी

केंद्र सरकार आज संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है, जिससे मौजूदा वक्फ कानून में बड़े बदलाव किए जाएंगे। इसको लेकर देशभर में चर्चा तेज हो गई है और यूपी समेत कई राज्यों में सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। पुलिस प्रशासन ने विशेष सतर्कता बरतते हुए संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ा दी है। मंगलवार को वाराणसी में पुलिस ने फ्लैग मार्च भी किया।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम
उत्तर प्रदेश पुलिस ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर राज्यभर में हाई अलर्ट घोषित किया है। यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और पुलिस द्वारा चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है।

विपक्ष का विरोध, सरकार का रुख स्पष्ट
सपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। उनका आरोप है कि सरकार धर्म विशेष को टारगेट कर रही है। वहीं, भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने इसे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने वाला विधेयक बताया है।

मौलाना तौकीर रजा का विरोध
इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर कब्जा जमाने की मंशा रखती है और इस कानून के जरिए मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस कानून को लाकर एक धर्म विशेष को खुश करना चाहती है।

सूफ़ी कशिश वारसी का समर्थन
भारतीय सूफ़ी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफ़ी कशिश वारसी ने वक्फ बिल का समर्थन करते हुए AIMPLB और अन्य विरोधियों को वक्फ माफिया करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बिल पारित होने से गरीब मुसलमानों को उनका हक मिलेगा और वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग होगा। उन्होंने सरकार से मांग की कि वक्फ संपत्तियों पर अस्पताल, स्कूल और गरीबों के लिए मकान बनाए जाएं।

रायबरेली के मुस्लिम समुदाय में मिली-जुली प्रतिक्रिया
विधेयक को लेकर रायबरेली के मुस्लिम समुदाय में अलग-अलग राय देखने को मिल रही है। कुछ इसे हिंदू-मुस्लिम राजनीति से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे मुस्लिम समाज के लिए फायदेमंद मान रहे हैं।

मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने मुस्लिम समुदाय से अपील की
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर फैलाए जा रहे डर का कोई आधार नहीं है। उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे इस विधेयक के विरोध में न आएं, क्योंकि इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

क्या है वक्फ और इसमें क्या बदलाव किए जा रहे हैं?
वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित किया जाता है। वक्फ अधिनियम 1995 के तहत वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का प्रबंधन करता है।

संशोधित विधेयक के मुख्य बिंदु:
1- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान।
2- कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों का सर्वे करने का अधिकार।
3- वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने का प्रावधान।

पहली बार कब बना था वक्फ अधिनियम?
1954 में पहली बार वक्फ अधिनियम संसद में पारित हुआ था। 1995 में इसे संशोधित किया गया और 2013 में इसमें एक और संशोधन किया गया था। अब 2024 में नए संशोधन के साथ इसे और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

संसद में विधेयक पर आज होगी चर्चा
लोकसभा में आज इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा के बाद इसे पारित कराने की योजना है। सरकार का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों की बेहतर निगरानी होगी और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी। विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है। अब देखना होगा कि यह विधेयक संसद में कितनी आसानी से पारित हो पाता है।

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