• लखनऊ में अरबों रुपये की सरकारी भूमि घोटाला उजागर
  • चकबंदी अधिकारियों, तहसील कर्मचारियों और प्रॉपर्टी डीलरों की मिलीभगत से हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा
  • बंजर और तालाब की जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए गए
  • जांच रिपोर्ट के बाद आठ लोगों के खिलाफ वजीरगंज थाने में जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज
  • जिलाधिकारी के निर्देश पर एडीएम प्रशासन डॉ. शुभी सिंह को सौंपी गई जांच

लखनऊ, – राजधानी में चकबंदी अधिकारियों, तहसील कर्मचारियों और प्रॉपर्टी डीलरों की मिलीभगत से अरबों रुपये की सरकारी जमीन हड़पने का मामला सामने आया है। फर्जी दस्तावेजों के जरिए बंजर और तालाब की भूमि को प्रॉपर्टी डीलरों के नाम दर्ज कर दिया गया था। बाजार दर के अनुसार इस जमीन की कीमत लगभग 200 करोड़ रुपये आंकी गई है।

जांच में सामने आया बड़ा घोटाला

जोत चकबंदी में अनियमितता की शिकायत पर जिलाधिकारी ने ADM प्रशासन डॉ. शुभी सिंह को जांच का आदेश दिया था। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने कल्ली पश्चिम स्थित गाटा संख्या 4466, 1475, 1540 और 1551 की 66 बीघा 5 बिस्वा जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाकर उसे प्रॉपर्टी डीलरों के नाम दर्ज करा दिया था।

इन अधिकारियों और प्रॉपर्टी डीलरों पर दर्ज हुई FIR

ADM प्रशासन के आदेश पर सरोजनीनगर तहसील में तैनात चकबंदीकर्ता राजेश कुमार जायसवाल ने वजीरगंज थाने में आठ आरोपियों के खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपियों की सूची इस प्रकार है:

  1. राजेंद्र शंकर सिंह – तत्कालीन चकबंदी अधिकारी
  2. अरविंद कुमार श्रीवास्तव – सहायक चकबंदी अधिकारी
  3. पारसनाथ – चकबंदीकर्ता
  4. गया प्रसाद वर्मा – चकबंदीकर्ता
  5. हंसराज वर्मा – चकबंदी लेखपाल
  6. नियाज – प्रॉपर्टी डीलर
  7. कमरुन निशा – प्रॉपर्टी डीलर
  8. सईदुन्निशा – प्रॉपर्टी डीलर
फर्जी दस्तावेज बनाकर किया था घोटाला

जांच में पाया गया कि ग्राम समाज, तालाब और बंजर भूमि को जोत बही में सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था। लेकिन चकबंदी अधिकारियों और प्रॉपर्टी डीलरों ने मिलकर कागजात में हेराफेरी कर इन जमीनों को प्राइवेट संपत्ति बना दिया।

ADM प्रशासन ने दिया कड़ी कार्रवाई का संकेत

ADM प्रशासन डॉ. शुभी सिंह ने कहा कि मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। अगर जांच में अन्य अधिकारियों की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन का सख्त संदेश
लखनऊ प्रशासन ने साफ कर दिया है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे या हेराफेरी को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।

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