लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से 10 सप्ताह का ग्रीष्मकालीन अवकाश न दिए जाने से नाराज लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के नेतृत्व में डिग्री कालेजों के शिक्षकों का धरना रविवार को भी जारी है। 24 घंटे बाद भी विश्वविद्यालय की ओर से कोई जवाब न आने के बाद दोपहर करीब 12 बजे कई शिक्षक लुआक्टा पदाधिकारियों के साथ परिसर में बने मूल्यांकन केंद्र पर पहुंच गए और कार्य बंद कराने के लिए जबरन अंदर जाने की कोशिश करने लगे।
इस पर मूल्यांकन प्रभारी व प्राक्टोरियल बोर्ड ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया। इसके बाद अध्यक्ष डा.मनोज पांडेय ने सोमवार से कालेजों में प्रस्तावित आंतरिक मूल्यांकन परीक्षाओं (इंटरनल असिस्मेंट) के बहिष्कार की घोषणा कर दी। दरअसल, लखनऊ विश्वविद्यालय ने चार जून से 16 जुलाई तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित कर रखा है। लेकिन लुआक्टा अध्यक्ष डा. मनोज पांडेय व डा. अंशू केडिया का कहना है कि विश्वविद्यालय के परिनियम में प्राविधान है कि डिग्री कालेजों के शिक्षकों के लिए 10 सप्ताह और विश्वविद्यालय के शिक्षकों लिए आठ सप्ताह के ग्रीष्म अवकाश का प्राविधान है। फिर भी लवि ने छह सप्ताह का अवकाश घोषित किया।
कम से कम आठ सप्ताह का अवकाश दिया जाए। इसके अलावा प्रतिकर अवकाश के लिए छुट्टी में काम करने पर उतने दिन का अलग से अवकाश देने की मांग है। झांसी, मेरठ और सहारनपुर विवि में इसका आदेश भी हो गया है। धरने में लखनऊ, लखीमपुर, हरदोई, सीतापुर,रायबरेली के शिक्षक भी शामिल हैं। महामंत्री डा. अंशु केडिया का कहना है कि धरना जारी रहेगा। शिक्षक काला फीता बांध कर कक्षाएं लेंगे। एडेड कालेजों के स्ववित्तपोषित शिक्षकों ने भी धरने में अपना समर्थन दिया है।