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World Nurse Day मरीजों के स्वस्थ्य होने में नर्सों का अहम योगदान

नर्सों के योगदान और उनके महत्व का जश्न मनाने के लिए हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। इंटरनेशनल काउंसिल आफ नर्स ने 2023 की थीम हमारी नर्सें हमारा भविष्य रखा है। मरीजों को स्वस्थ्य करने में डॉक्टरों के साथ-साथ नर्सों का योगदान

नर्सों को कई तनाव से गुजरना पड़ता है। खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने के लिए कई नर्स काम को ही अपना जरिया बनाती हैं तो वहीं कई अपने साथियों से बातचीत और वरिष्ठ सहयोगियों की काउंसलिंग भी लेती हैं।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक रोग में कार्यरत स्टाफ नर्स लीडिया साहा बताती हैं कि वर्ष 2006 से वह इस विधा में कार्यरत है। 12 घंटे खड़े होकर ड्यूटी करने के साथ कभी नाइट शिफ्ट तो कभी विषम परिस्थितियों में भी काम करना पड़ता है। कई बार मानसिक तनाव इतना हावी हो जाता है कि काम करने का मन नहीं करता। इस दौरान म्यूजिक थेरेपी, किताबें पढ़ना और विभाग के चिकित्सकों से बातचीत कर खुद को सामान्य बनाते हैं।

बीते 14 वर्षों से सेवाएं दे रही लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय में स्टाफ नर्स अंजना पांडे कहती हैं कि अस्पताल के साथ परिवार, बच्चे की परवरिश, नाइट ड्यूटी करने समेत कई बातें दिनचर्या में शामिल होती हैं। कोरोना काल में लगातार हो रही लोगों की मौतों ने मानसिक रूप से अस्थिर कर दिया था। इसके अलावा आईसीयू का चार्ज मिला तो अंजना अवसाद में चली गईं। उन्हें उनकी मेट्रेन ने काउंसिल किया तब वह सामान्य हुईं।

अंजना कहती हैं कि नर्सें भी पढ़ी-लिखी होती हैं, अच्छे परिवारों से आती हैं और अच्छी पढ़ाई करते हैं। ऐसे में हमें भी सम्मान मिलना चाहिए।

केजीएमयू के क्वीनमेरी प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में कार्यरत रंजना पाल वर्ष 2011 से अपनी सेवाएं दे रही हैं। वह कहती है कि मरीजों की डिलिवरी, उनसे बातचीत, देखरेख करने में कभी-कभी कार्य के घंटे भी अधिक हो जाते हैं। घर में छोटे से बच्चे को छोड़कर अस्पताल में ड्यूटी करना कभी-कभी मानसिक तनाव दे देता है लेकिन अपने साथियों से बातचीत कर उस मानसिक तनाव का हल भी मिलता है और बेहतर महसूस भी होता है।

वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय के स्टाफ नर्स आभा बताती हैं कि मरीजों से हमारी भी भावनाएं जुड़ जाती हैं। बेहद गंभीर बच्चों को कई दिनों तक एसएनसीयू में भर्ती करना पड़ता है। पिछले महीने भी बाल गृह से एक दूधमुंहा बच्चा आया था जिसे 15 दिन तक एसएनसीयू में भर्ती रखा गया। सभी नर्सों ने देखभाल की। जब वह स्वस्थ होकर यहां से गया तो हम भी दुखी हुए।

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