81 साल के आसाराम को गुजरात के गांधीनगर सेशन कोर्ट ने एक और महिला से रेप के आरोप में दोषी करार दिया है। इस मामले में कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। 4 साल पहले भी जोधपुर कोर्ट ने UP की एक नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब से वह जोधपुर की जेल में बंद है। आसाराम को गिरफ्तार करना बेहद मुश्किल टास्क था। गिरफ्तारी के बाद ही आसाराम के तमाम कारनामों से पर्दा उठना शुरु हुआ।

21 अगस्त 2013 से शुरू हुआ सिलसिला
21 अगस्त 2013 की बात है। जोधपुर वेस्ट के डिप्टी कमिश्नर अजय लांबा के ऑफिस में दिल्ली पुलिस की एक टीम दाखिल हुई। टीम के साथ एक नाबालिग लड़की थी, जो आसाराम पर रेप करने का आरोप लगा रही थी। लड़की ने बताया कि मनई गांव स्थित आश्रम में 15 अगस्त की रात उसका रेप हुआ है।
शुरुआत में अधिकारियों को भरोसा नहीं हुआ, लेकिन लड़की आश्रम के हर हिस्से के बारे में बताने लगी तो लांबा के सामने क्राइम सीन क्रिएट हो गया। उनके मन में सवाल उठा कि जोधपुर से 38 किलोमीटर दूर स्थित आश्रम पर गए बिना कोई कैसे उसके बारे में इतने अच्छे से जान सकता है?
इसके बाद जोधपुर पुलिस आसाराम के खिलाफ CrPC की धारा 342, 376, 354 (A), 506, 509 व 134 के तहत पोक्सो की धारा 8 व जेजेए की धारा 23, 26 में केस दर्ज करती है। IPS अजय लांबा ने जोधपुर वेस्ट की ACP चंचल मिश्रा को कॉल किया और उन्हें इस केस का इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर बना दिया।
इसके बाद केस की जांच शुरू हुई। लड़की का मेडिकल कराया, उसके बयान दर्ज किए गए। आखिर में बयानों को वेरीफाई किया गया। जब ये पूरी तरह से साफ हो गया कि आसाराम ने लड़की का रेप किया है तब पूछताछ के लिए आसाराम को अरेस्ट करने का फैसला लिया गया। 27 अगस्त को समन भेजकर उसे 30 अगस्त को जोधपुर में गिरफ्तारी देने के लिए कहा गया था, लेकिन तय तारीख को आसाराम वहां नहीं पहुंचा।
इसके बाद पुलिस ने खुद आश्रम जाकर आसाराम को गिरफ्तार करना तय किया और इसी के साथ शुरू हुई पुलिस की असल चुनौती….
31 अगस्त 2013, आसाराम की गिरफ्तारी का दिन…
चंचल के मुताबिक आसाराम बार-बार लोकेशन चेंज कर रहा था। अचानक पुलिस को उसके इंदौर में होने की जानकारी मिली। चंचल मिश्रा के साथ 5 अधिकारियों की टीम फौरन राजस्थान से इंदौर के लिए रवाना हो गई। वहां क्या-क्या हुआ, अब आगे की कहानी IPS चंचल के ही शब्दों में…
जब हम इंदौर पहुंचे तो MP पुलिस आश्रम के चारों तरफ तैनात थी। आसाराम की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी हम पांच लोगों पर थी। अंदर पहुंचे तो वहां आसाराम का प्रवचन चल रहा था। सामने करीब 4 हजार भक्त बैठे थे।
हमें देखते ही आसाराम ने मंच से अपने भक्तों को उकसाना शुरू कर दिया। उसने कहा-
‘देखो ये लोग आ गए हैं। ये लोग हमें अरेस्ट करके ले जाना चाहते हैं। क्या आप मुझे ले जाने दोगे?’
इस सवाल के जवाब में भीड़ चिल्ला कर कह रही थी कि नहीं बाबा नहीं ले जाने देंगे। भक्तों की ये भीड़ पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रही थी। आसाराम के नाम का जयघोष हो रहा था। आसाराम का बेटा भी भीड़ को मंच से उकसा रहा था।
भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी। प्राइवेट प्लेस होने की वजह से पुलिस आश्रम में आने वाले भक्तों को कानूनी तौर पर रोक नहीं सकती थी। सुबह से शाम हो गई, लेकिन अब तक आसाराम पुलिस अधिकारियों से नहीं मिला था। आखिरकार शाम में उसका बेटा नारायण साईं पुलिस अधिकारियों से मिलने के लिए तैयार हुआ। हमने नारायण साईं को समझाया कि उसके पिता को हर हाल में गिरफ्तारी देनी ही होगी, लेकिन वह नहीं माना।
रात होते ही आसाराम अपनी कुटिया में चले गया, जहां वह आराम करता था। यहां कई कमरे एक जैसे थे। बड़ी मुश्किल से हम उस कमरे को खोज पाए, जहां वह मौजूद था। भक्तों ने इस कमरे को भी चारों ओर से घेर रखा था।
कमरे के अंदर सिंधी भाषा में आसाराम अपने बेटे से कुछ बोल कर उस पर चिल्ला रहा था। खिड़की के पास खड़े राजस्थान पुलिस के एक अधिकारी को सिंधी भाषा आती थी। ऐसे में बाप-बेटे की बातचीत को वह समझ गया। आसाराम सिंधी भाषा में अपने बेटे से कह रहा था कि- और लोगों को बुलाओ…जल्दी बुलाओ।
मुझे जैसे ही ये बात पता चली, मैं आसाराम की चाल समझ गई। मैंने घड़ी देखा तो रात के डेढ़ बज गए थे। आसाराम चाहता था कि किसी तरह सुबह हो जाए। फिर वह देशभर में भक्तों का उग्र प्रदर्शन कराकर गिरफ्तारी से बच जाएगा।
मैंने अपने सीनियर अधिकारियों से बात करके अगले 10 मिनट में आसाराम को गिरफ्तार करने का फैसला लिया।
इसके बाद मैंने कहा: आसाराम गेट खोल दो..
अंदर से आसाराम की आवाज आती है: मुझे छोड़ दो वरना मैं खुदकुशी कर लूंगा..
मुझे गुस्सा आ गया और मैंने गेट पर पैर मारकर कहा- ‘आसाराम दरवाजा खोल दो नहीं तो मैं तोड़ दूंगी।’
आसाराम पुलिस के गुस्से को शायद भांप गया था। बाकी अधिकारी भी अपने तरीके से गेट खुलवाने का प्रयास कर रहे थे। सुबह से नखरे करने वाला आसाराम अब पुलिस अधिकारियों के सामने पस्त हो गया था। आखिरकार वह डरकर दरवाजा खोल देता है। बिना देर किए हमने आसाराम को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद भक्तों ने घेर ली पुलिस की गाड़ी
गिरफ्तार होने के बाद भी आसाराम पुलिस के साथ चलने को तैयार नहीं था। वह हमें अपनी ताकत बताकर डराने की कोशिश करने लगा। बाहर उग्र भीड़ पुलिस की गाड़ी को घेर लेती है।
वहां मौजूद पुलिस भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग करती है। सभी गेटों के सामने हजारों भक्त जमीन पर लेटे होते हैं। फाइनली हम लोग एक दीवार तोड़कर बाहर निकले। इसके बाद किसी तरह हम लोग आसाराम को लेकर इंदौर एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से उसे जोधपुर लेकर गए।
बिना हिंसा के शांति से आसाराम की गिरफ्तारी हमारी टीम के लिए एक बड़ी सफलता की बात थी। संत रामपाल हो या राम रहीम इन सभी की गिरफ्तारी के दौरान भारी हिंसा हुई थी। कई जगहों पर तो केंद्रीय पुलिस तक को बुलाना पड़ा था। हमारी टीम की तैयारी इतनी मजबूत थी कि हमने आसानी से मिशन को अंजाम दिया।
‘भक्त फोन कर जान से मारने की धमकी देते थे’
हमारी टीम के लिए इस केस को सॉल्व करना इतना आसान नहीं था। हमें हर रोज फोन पर धमकियों का सामना करना होता था। हम सभी को मालूम था कि हमारे पास एक ऐसे शख्स का केस है, जिसके देश और दुनिया में करोड़ों फॉलोअर्स हैं। जो सीधे देश के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं।
इसके बावजूद बिना किसी डर के मैं और दूसरे अधिकारी जांच कर रहे थे। इसकी एक वजह यह भी थी कि सीनियर अधिकारियों का हमें सपोर्ट था। सिर्फ मुझे ही नहीं इस केस के इंचार्ज अजय लांबा सर तक को धमकी भरे कॉल आते थे। हालांकि, गिरफ्तारी के कुछ समय बाद ही गुजरात की दो बहनों ने भी आसाराम के खिलाफ रेप का केस दर्ज करवाया था।
आखिरकार 25 अप्रैल 2018 को हमारी जांच रिपोर्ट पर कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। इस केस में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।