केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने होली के दिन छह मार्च सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में मानहानि केस में बयान दर्ज कराए। शेखावत ने स्पष्ट कहा कि मूल चार्जशीट या एसओजी द्वारा पेश दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट्स में किसी भी तरह से मुझे दोषी नहीं माना है।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कोर्ट के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा कि मूल चार्जशीट या एसओजी द्वारा पेश दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट्स, जो फरवरी में ही अंतिम चार्जशीट प्रस्तुत की गई थी, उनमें किसी भी तरह से जांच एजेंसी ने मुझे दोषी नहीं माना है, लेकिन मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने बात करते हुए मुझे अभियुक्त करार दिया। न केवल मुझे दिया, अपितु मेरे परिवारजनों को भी अभियुक्त कहा। 21 फरवरी को सारी हदें पार करते हुए मुख्यमंत्री ने मुझे, मेरी पत्नी, मेरे पिता और मेरी दिवंगत माता, सबके खिलाफ जुर्म प्रमाणित हो गया है, ऐसा वक्तव्य उन्होंने दिया है। इन सभी विषयों को आज मैं न्यायालय के समक्ष अपने बयान दर्ज कराते हुए लाया हूं।
संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के पीड़ितों से मुख्यमंत्री के एक दिन पहले फिर मिलने के सवाल पर शेखावत ने कहा कि निश्चित रूप से उन्हें मिलना चाहिए। केवल संजीवनी पीड़ितों से ही नहीं, अपितु आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी, जिसका घोटाला पुलिस और मुख्यमंत्री कहते हैं कि 12 हजार करोड़ रुपए का है। नवजीवन क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, साईंकृपा कोऑपरेटिव सोसाइटी और उसके जैसी लगभग 10 से 12 क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, जिनमें करीब 14-15 हजार करोड़ रुपए का पैसा निवेशकों का डूबा है। शेखावत ने कहा कि मैं मीडिया के माध्यम से एक प्रश्न करना चाहता हूं, जो सबसे बड़ी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, जिसके गबन की राजस्थान की एसओजी जांच कर रही है, आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, जिसके करीब 20 लाख से ज्यादा निवेशक हैं, उनके निवेशकों से मुख्यमंत्री जी कभी नहीं मिलते, न ही उनके निवेशक मुख्यमंत्री जी के पास में पहुंच पाते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साईंकृपा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, जो मुख्यमंत्री जी की ही पार्टी के पदाधिकारी चलाते थे, जिन पर केस भी रजिस्टर्ड हुए हैं। केसों में पुलिस ने जुर्म प्रमाणित भी माना है, लेकिन उसकी जांच एसओजी में लाकर डंप कर दी। उस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसी सारी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के निवेशकों से वो नहीं मिलते हैं। केवल एक ही क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के निवेशकों के साथ मिलकर, उनके एजेंट्स के साथ मिलकर, जो प्राथमिक रूप से धरातल से पैसा उगाकर कोऑपरेटिव सोसाइटी में जमा कराते थे, इस नाते वह सीधे संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी से जुड़े थे, न केवल जुड़े थे, अपितु अपराध के सहयोगी भी थे। उनके साथ में बैठकर और मिलकर ऐसे वक्तत्व देते हैं, जिनका कोई आधार नहीं है।
शेखावत ने कहा कि राजस्थान की इन सारी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, जैसा मैंने चर्चा की है। जैसा बार-बार मुख्यमंत्री जी ने अपने वक्तत्व में कहा है। जांच एजेंसी के लोगों ने भी अपने स्टेटमेंट में कहा है। उनमें लाखों लोगों का निवेश प्रभावित हुआ है। मैं एक बात पूछना चाहता हूं, उनके पैसे को लौटाने के लिए जो कानून भारत सरकार ने ऐसे सारी कोऑपरेटिव सोसाइटी या अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट्स जहां होते हैं, उनको लेकर वर्ष 2019 में कानून बनाया था, जिस कानून के माध्यम से निवेशकों को उनका पैसा शीघ्रता के साथ दिलाया जा सकता है, उस कानून के मुताबिक कार्रवाई करने की चेष्टा राजस्थान सरकार क्यों नहीं कर रही है? राजस्थान सरकार को उस कानून के अनुरूप मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के प्रकरणों की जांच तुरंत सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए। केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए, ताकि सक्षम न्यायालय उनकी संपत्तियों को अटैच करके, उनको बेचकर लोगों के पैसे का भुगतान कर सके। उन्होंने कहा कि द बैनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट 2019 को राजस्थान में घोषित करने के बावजूद उसके तहत जांच को आगे बढ़ाकर लोगों को पैसा दिलाने के बजाय इसको एक राजनीतिक हथियार के रूप में काम करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब ऐसी भेंट के समय में, ऐसी प्रायोजित मीटिंग्स के समय अवश्य देना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि राजस्थान और राजस्थान के बाहर लाखों ऐसे निवेशक, जिन्होंने इन सारी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में अपना पैसा गंवाया है। उनके पैसे को वापस भुगतान कराने के लिए जो कानून देश में आज की तारीख में लागू है, उस कानून के खिलाफ आचरण और व्यवहार राजस्थान की सरकार क्यों कर रही है? क्यों करके उन गरीब भोले-भाले निवेशकों के सामने अपने घड़ियाली आंसू बहाकर अपने राजनीतिक लाभ में कहीं उनका नुकसान करने की कोशिश वह क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब उनको देना चाहिए।