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यूक्रेन युद्धः पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का रूसी अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ रहा है?

एक साल पहले जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो कई देशों ने रूस की आमदनी को कम करने और उसकी युद्ध की कोशिशों को कमज़ोर करने के लिए उसके तेल और गैस के आयात को नियंत्रित करने की हर संभव कोशिश की.

यूरोपीय संघ के देशों ने समंदर के रास्ते आने वाले तेल की ख़रीद को ख़त्म कर दिया जबकि वे रूसी ईंधन पर निर्भर रहने वाले प्रमुख देश थे.

पांच फ़रवरी से रूसी कच्चे तेल के उत्पादों पर भी प्रतिबंध लागू हो चुका है.

अमेरिका ने पिछले मार्च में कहा था कि वो रूसी तेल आयात को बंद कर देगा और ब्रिटेन में भी रूसी कच्चे तेल और उसके उत्पादों पर पांच दिसंबर को प्रतिबंध लगा दिया गया.

पश्चिमी देशों ने दिसम्बर में तेल की क़ीमत पर सीलिंग लगा दी ताकि रूस को कच्चे तेल का भाव प्रति बैरल 60 डॉलर से अधिक न मिल सके.

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