spot_imgspot_img

Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

शोपियां के चौधरीगुंड से पलायन कर गए सारे कश्मीरी पंडित:अनंतनाग में बंटू शर्मा के मर्डर के बाद पड़ोसी का बेटा बना आतंकी

जम्मू-कश्मीर के शोपियां का चौधरीगुंड गांव नए-नए वीरान हुए 13 घरों और परिवारों के उजड़ने का गवाह है। यहां रह रहे कश्मीरी पंडितों के आखिरी 12 परिवार भी पलायन कर चुके हैं। 15 अक्टूबर 2022 को पूरन कृष्ण भट्ट की टारगेट किलिंग के बाद ज्यादातर जम्मू चले गए हैं।

मैं गांव के लोगों से पूछता हूं, सब कहां गए? जवाब मिलता है- ‘वे चले गए हैं, अब यहां कोई कश्मीरी पंडित नहीं रहता।’ यही हाल दूसरी बस्तियों का भी है, जो टारगेट किलिंग की घटनाओं के बाद खाली हो गईं। अनंतनाग के वानपो में बंटू शर्मा की हत्या के 9 महीने बाद पड़ोसी के बेटे ने कथित तौर पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा जॉइन कर लिया है।

6 तस्वीरें और कश्मीरी पंडितों से खाली गांव
चौधरीगुंड की गलियों में 4 से 5 फीट तक बर्फ जमी है। रास्ते बंद हैं, क्योंकि वीरान बस्ती की सड़क से बर्फ नहीं हटाई गई। नीचे उन 6 घरों की तस्वीरें हैं, जिन पर अब ताले लटके हैं। ये कश्मीरी पंडितों के घर हैं, या ये भी कह सकते हैं कि थे।

आसपास कोई बताने वाला नहीं कि कौन सा घर किसका है। गेट पर नेम प्लेट नहीं, ताकि किसी को पता न चले कि यहां कौन रहता है। सरकार भले ही कह रही हो कि पलायन नहीं हुआ है, लेकिन चौधरीगुंड में वीरान पड़े घर कोई और कहानी सुना रहे हैं:

प्रशासन के बताए इन्हीं परिवारों को ढूंढने मैं चौधरीगुंड आया था। गांव में घुसते ही कई खंडहर मकान दिखे। एक अनजान शख्स से इस बारे में सवाल किया तो कहने लगा- मेरा वीडियो नहीं बनाओगे तभी बात करूंगा।

मैंने कैमरा बंद कर लिया, माइक हटा लिया। तब बोला- ‘यही वो पंडितों के खाली घर हैं, जो 1990 में यहां से छोड़कर चले गए थे। अभी कुछ महीने पहले तक 12-13 फैमिली रहती थीं, अब वो भी चले गए हैं।’

चौंकाने वाली बात ये है कि 1990 से पहले चौधरीगुंड को इलाके में ‘पंडितों के गांव’ के नाम से भी जाना जाता था।

‘सरकार झूठ बोल रही है, वो तो महीनों पहले ही चले गए थे’
गांव के लोग, जो सभी कश्मीरी मुस्लिम थे, कैमरे पर आने से डर रहे थे, लेकिन बात करने को तैयार हो गए। पड़ोसी से पूछा कि वे क्यों चले गए? तो बोला- ‘मुझे पुलिस कई बार पकड़ कर ले गई है। मैं अपनी मुसीबत बढ़ाना नहीं चाहता। ये बात सच है कि गांव में अब कोई कश्मीरी पंडित नहीं है। वे आज नहीं, कई महीने पहले ही चले गए हैं। घरों पर कई महीनों से ताला है। पंडित भाई लौटकर आएंगे या नहीं, हमें नहीं पता। अगर सरकार कह रही है कि वो गांव छोड़कर नहीं गए हैं, तो ये झूठ है।’

गांव में कोई कश्मीरी पंडित नहीं मिला तो मैंने शोपियां के डिप्टी कमिश्नर सचिन कुमार से पूछा कि चौधरीगुंड गांव से 13 पंडित परिवार पलायन कर गए हैं। आपको इस बारे में कुछ पता है? क्या केंद्र को इसकी रिपोर्ट भेजी गई है? उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया, कहते रहे- ‘आप ADC से बात कीजिए।’

ADC यार अली खान से बात हुई तो उन्होंने भी वही बात कही, जो 3 महीने पहले प्रशासन ने कही थी। कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बोलीं- ‘ऐसा कुछ नहीं है। पुलिस ने सिक्योरिटी लगा रखी है। नॉर्मल पेट्रोलिंग भी चल रही है। सर्दियों की वजह से लोग जाते हैं। हमारे पास ऐसी कोई इन्फॉर्मेशन नहीं है कि किसी ने माइग्रेट किया हो।’

अनंतनाग: पहले मर्डर, फिर घर भी लूट लिया
17 सितंबर 2021, शाम 6 बजकर 5 मिनट का वक्त। अनंतनाग के वानपो में रहने वाले पुलिसकर्मी और कश्मीरी पंडित बंटू शर्मा को घर से सिर्फ 200 मीटर दूर आतंकियों ने 5 गोलियां मारीं। उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वे बच नहीं सके।

प्रशासन के बताए इन्हीं परिवारों को ढूंढने मैं चौधरीगुंड आया था। गांव में घुसते ही कई खंडहर मकान दिखे। एक अनजान शख्स से इस बारे में सवाल किया तो कहने लगा- मेरा वीडियो नहीं बनाओगे तभी बात करूंगा।

मैंने कैमरा बंद कर लिया, माइक हटा लिया। तब बोला- ‘यही वो पंडितों के खाली घर हैं, जो 1990 में यहां से छोड़कर चले गए थे। अभी कुछ महीने पहले तक 12-13 फैमिली रहती थीं, अब वो भी चले गए हैं।’

चौंकाने वाली बात ये है कि 1990 से पहले चौधरीगुंड को इलाके में ‘पंडितों के गांव’ के नाम से भी जाना जाता था।

‘सरकार झूठ बोल रही है, वो तो महीनों पहले ही चले गए थे’
गांव के लोग, जो सभी कश्मीरी मुस्लिम थे, कैमरे पर आने से डर रहे थे, लेकिन बात करने को तैयार हो गए। पड़ोसी से पूछा कि वे क्यों चले गए? तो बोला- ‘मुझे पुलिस कई बार पकड़ कर ले गई है। मैं अपनी मुसीबत बढ़ाना नहीं चाहता। ये बात सच है कि गांव में अब कोई कश्मीरी पंडित नहीं है। वे आज नहीं, कई महीने पहले ही चले गए हैं। घरों पर कई महीनों से ताला है। पंडित भाई लौटकर आएंगे या नहीं, हमें नहीं पता। अगर सरकार कह रही है कि वो गांव छोड़कर नहीं गए हैं, तो ये झूठ है।’

गांव में कोई कश्मीरी पंडित नहीं मिला तो मैंने शोपियां के डिप्टी कमिश्नर सचिन कुमार से पूछा कि चौधरीगुंड गांव से 13 पंडित परिवार पलायन कर गए हैं। आपको इस बारे में कुछ पता है? क्या केंद्र को इसकी रिपोर्ट भेजी गई है? उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया, कहते रहे- ‘आप ADC से बात कीजिए।’

ADC यार अली खान से बात हुई तो उन्होंने भी वही बात कही, जो 3 महीने पहले प्रशासन ने कही थी। कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बोलीं- ‘ऐसा कुछ नहीं है। पुलिस ने सिक्योरिटी लगा रखी है। नॉर्मल पेट्रोलिंग भी चल रही है। सर्दियों की वजह से लोग जाते हैं। हमारे पास ऐसी कोई इन्फॉर्मेशन नहीं है कि किसी ने माइग्रेट किया हो।’

अनंतनाग: पहले मर्डर, फिर घर भी लूट लिया
17 सितंबर 2021, शाम 6 बजकर 5 मिनट का वक्त। अनंतनाग के वानपो में रहने वाले पुलिसकर्मी और कश्मीरी पंडित बंटू शर्मा को घर से सिर्फ 200 मीटर दूर आतंकियों ने 5 गोलियां मारीं। उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वे बच नहीं सके।

जम्मू की सड़कों पर भटक रहा बंटू के भाई राकेश का परिवार
बंटू के भाई राकेश कहते हैं- ‘भाई की हत्या हो जाने के बाद हम भला वहां कैसे रहते, डर ही इतना था। पुलिस और प्रशासन ने भी सलाह दी कि आप अपना घर छोड़ दीजिए। प्रशासन ने तब कहा कि हमें रेस्सू कैंप में सरकारी क्वार्टर देंगे । हम कुछ दिन तक वहां एक रिश्तेदार से दूसरे रिश्तेदारों के यहां भटकते रहे। इसके बाद जम्मू लौट आए।’

राकेश की दो छोटी-छोटी बेटियां हैं, 7 साल की अनुष्का और 11 साल की आकांक्षा। आकांक्षा कहती हैं- ‘जब से हमारे चाचू को गोली मारी गई, तब से सब कुछ बदल गया। वानपो में हम घर के सामने खेलते थे, लेकिन अब वो घर ही नहीं रहा। हमारा स्कूल, पढ़ाई और दोस्त सब कुछ छूट गया है।’

हादसे के बाद से बंटू शर्मा की पत्नी मीनाक्षी मायके चली गई हैं। मीनाक्षी को तो सरकारी मदद मिली है, लेकिन राकेश का परिवार सड़क पर आ गया है।

बंटू के पड़ोसी बिलाल का बेटा गायब, पुलिस बोली- लश्कर जॉइन कर लिया
वानपो गांव में बंटू के घर के ठीक सामने 46 साल के बिलाल अहमद बट का घर है। बिलाल आस-पड़ोस के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं। बिलाल के दो बेटे हैं- 14 साल का यासिर और 12 साल का मो. अफनान। यासिर 5 मई 2022 को घर से बताकर निकला था कि वो पिकनिक जा रहा है, फिर नहीं लौटा।

उसकी अम्मी नानसी रोती रहती हैं, वहीं बिलाल को डिप्रेशन की गोलियां खानी पड़ रही हैं। बिलाल को पुलिस ने बताया कि उनके बेटे ने आतंकी संगठन लश्कर जॉइन कर लिया है। अब बिलाल को बीच-बीच में पुलिस थाने जाना होता है। बिलाल बताते हैं- ‘जब से यासिर गायब हुआ है, तब से उसका कोई पता नहीं चला । अगर मेरे बेटे ने मिलिटेंसी जॉइन की है, तो कोई तो सबूत होगा उसका।’

कुलगाम के SSP साहिल सारंगल से पूछा तो उन्होंने कहा- ‘बिलाल का बेटा यासिर आधिकारिक तौर पर मिलिटेंट है, पता चला है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा तंजीम जॉइन की है।’

264 दिनों से जम्मू में धरने पर कश्मीरी पंडित कर्मचारी, घाटी नहीं जाने की मांग
कश्मीर घाटी में PM पैकेज के तहत काम करने वाले करीब 4 हजार कश्मीरी पंडित टारगेट किलिंग की घटनाओं के बाद कश्मीर में नौकरी पर जाने से डर रहे हैं। पिछले 264 दिनों से सैंकड़ों कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू के पुनर्वास कमिश्नर के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे हैं। पंडितों को जिस घाटी से खदेड़ा गया था, उसी घाटी में लोगों के बीच जाकर खौफ के माहौल में काम करना होता है।

PM पैकेज के तहत नौकरी करने वाले कश्मीरी पंडितों की दो मांगें हैं-

  • कर्मचारियों को कश्मीर से हटाकर जम्मू रीजन में पोस्टिंग दी जाए
  • ​​​​​​उनकी 7 महीनों से पेंडिंग सैलरी रिलीज की जाए

30 साल के सुवेश PM पैकेज के तहत पिछले 3 साल से श्रीनगर में जॉब कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें कश्मीर में काम करना सुरक्षित नहीं लगता। सुवेश कहते हैं- ‘हमने टारगेट किलिंग की कई सारी घटनाएं देख ली हैं। हमारे भाई राहुल भट को 12 मई 2022 को चाडूरा के तहसील ऑफिस में घुसकर मार दिया। सबके सामने आतंकी वहां से फरार भी हो गए। डरें नहीं तो क्या करें।’

घाटी में जॉब करने वाले कश्मीरी पंडितों का प्रदर्शन इसी घटना के बाद शुरू हुआ और आज भी चल रहा है। सुवेश कहते हैं कि ‘टीचर रजनी बाला की हत्या के बाद हमने तय किया कि अब घाटी में रहना ठीक नहीं है। इसलिए प्रदर्शन को जम्मू शिफ्ट किया। उधर, LG साहब कहते हैं कि बिना काम किए तनख्वाह नहीं दी जा सकती। हम अपनी तनख्वाह के लिए प्रदर्शन नहीं कर रहे, हम अपनी जान बचाने के लिए यहां बैठे हैं।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles