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100 साल बाद फिर छिड़ा सेना में पगड़ी-हेलमेट विवाद:सिखों के लिए खास हेलमेट खरीद रही सरकार; क्या है इसकी खासियत और दिक्कत?

9 जनवरी 2023 को सिख सैनिकों के लिए रक्षा मंत्रालय ने इमरजेंसी सामान के तौर पर 12,730 ‘बैलिस्टिक हेलमेट’ खरीदने का ऑर्डर दिया है। ये स्पेशल हेलमेट एमकेयू कंपनी ने सिख सैनिकों के लिए बनाया है। सरकार के इस फैसले के बाद सिखों के सबसे बड़े संगठन में से एक सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति यानी SGPC ने इसका कड़ा विरोध किया है। इसके साथ ही 100 साल बाद एक बार फिर से सेना में पगड़ी-हेलमेट विवाद छिड़ गया है।

सबसे पहले जानते हैं पूरा मामला क्या है?
रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय फास्ट ट्रैक मोड में सिख सैनिकों के लिए 12,730 ‘बैलिस्टिक हेलमेट’ खरीदने की योजना बना रहा है। मंत्रालय ने सिखों के लिए विशेष डिजाइन के इस हेलमेट के लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। इनमें 8911 लार्ज साइज और 3819 एक्स्ट्रा लार्ज साइज के हेलमेट हैं। ये खबर सामने आते ही सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति यानी SGPC सरकार के इस फैसले के विरोध में खड़ा हो गया है।

सिख सैनिकों के लिए बना पहला कंफर्टेबल हेलमेट ‘वीर’

इस हेलमेट को बनाने वाली कंपनी एमकेयू का कहना है कि हेलमेट सिखों के धार्मिक मान्यता को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसे सिख सैनिक अपने पगड़ी के ऊपर आसानी से पहन सकते हैं।

इससे पहले सिख सैनिकों के पहनने के लिए अब तक कोई भी कंफर्टेबल हेलमेट नहीं था। इसे पहनकर जवान जंग भी लड़ सकते हैं। यह एंटी फंगल, एंटी एलर्जिक और बुलेट प्रूफ है।

इसके अलावा वीर में मल्टी एक्सेसरी कनेक्टर सिस्टम यानी MACS लगा है। इससे इमरजेंसी में जवान की लोकेशन आसानी ट्रेस हो जाएगी । ये हेलमेट हेड-माउंटेड सेंसर, कैमरा, टॉर्च, कम्युनिकेशन डिवाइस और नाइट विजन डिवाइस से लैस है।

सिखों के लिए पगड़ी सिर्फ कपड़ा नहीं सिर का ताज है
सिखों के सबसे पवित्र स्थल अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने हेलमेट के फैसले को ‘सिख पहचान पर हमला’ करार दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार और सेना से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पगड़ी को हेलमेट से बदलने की कोशिश ‘सिख पहचान को दबाने की कोशिश’ के रूप में देखा जाएगा।

जत्थेदार ने कहा कि सिख के सिर पर बंधी दस्तार कोई 5 या 7 मीटर का कपड़ा नहीं है, यह हमारी पहचान और सिर का ताज है।

एसजीपीसी के महासचिव हरजीत ग्रेवाल ने कहा है कि सिखों को हेलमेट मुहैया करवाने से उनकी अलग पहचान समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी सिख सैनिकों ने हेलमेट पहनने से इनकार कर दिया था, इसलिए इस मुद्दे पर केंद्र को दोबारा विचार करना चाहिए।

सिख सैनिकों के लिए बना पहला कंफर्टेबल हेलमेट ‘वीर’

इस हेलमेट को बनाने वाली कंपनी एमकेयू का कहना है कि हेलमेट सिखों के धार्मिक मान्यता को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसे सिख सैनिक अपने पगड़ी के ऊपर आसानी से पहन सकते हैं।

इससे पहले सिख सैनिकों के पहनने के लिए अब तक कोई भी कंफर्टेबल हेलमेट नहीं था। इसे पहनकर जवान जंग भी लड़ सकते हैं। यह एंटी फंगल, एंटी एलर्जिक और बुलेट प्रूफ है।

इसके अलावा वीर में मल्टी एक्सेसरी कनेक्टर सिस्टम यानी MACS लगा है। इससे इमरजेंसी में जवान की लोकेशन आसानी ट्रेस हो जाएगी । ये हेलमेट हेड-माउंटेड सेंसर, कैमरा, टॉर्च, कम्युनिकेशन डिवाइस और नाइट विजन डिवाइस से लैस है।

सिखों के लिए पगड़ी सिर्फ कपड़ा नहीं सिर का ताज है
सिखों के सबसे पवित्र स्थल अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने हेलमेट के फैसले को ‘सिख पहचान पर हमला’ करार दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार और सेना से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पगड़ी को हेलमेट से बदलने की कोशिश ‘सिख पहचान को दबाने की कोशिश’ के रूप में देखा जाएगा।

जत्थेदार ने कहा कि सिख के सिर पर बंधी दस्तार कोई 5 या 7 मीटर का कपड़ा नहीं है, यह हमारी पहचान और सिर का ताज है।

एसजीपीसी के महासचिव हरजीत ग्रेवाल ने कहा है कि सिखों को हेलमेट मुहैया करवाने से उनकी अलग पहचान समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी सिख सैनिकों ने हेलमेट पहनने से इनकार कर दिया था, इसलिए इस मुद्दे पर केंद्र को दोबारा विचार करना चाहिए।

अमेरिका के मरीन कॉर्प्स में भी पगड़ी पहनने की छूट

अमेरिका की एक कोर्ट ने दिसंबर 2022 में कहा था कि पगड़ी पहनने और दाढ़ी रखने की वजह से सिखों को मरीन कॉर्प्स में भर्ती होने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने 3 सिख युवकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही थी। दरअसल, मरीन कॉर्प्स में जवानों को दाढ़ी करने की अनुमति नहीं होती है। यूएस की कोर्ट ऑफ अपील ने बाल काटने और दाढ़ी मुंडवाने के नियम को धार्मिक स्वतंत्रता बहाली अधिनियम का उल्लंघन बताया।

#danikbhaskar

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