दिसंबर 2022 में थोक महंगाई (WPI) दर में बड़ी गिरावट देखने को मिली। आज यानी सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, होलसेल प्राइस-बेस्ड इन्फ्लेशन (WPI) घटकर 4.95% पर आ गई है। इससे पहले नवंबर में ये 5.85% पर थी। ये इसका 22 महीने का निचला स्तर है। इससे पहले फरवरी 2021 में महंगाई दर इससे कम 4.83% पर थी। पिछले साल नवंबर 2021 में WPI 14.27% रही थी।

खाद्य महंगाई 0.65% पर आई
थोक महंगाई दर में गिरावट की मुख्य वजह खाद्य महंगाई में गिरावट है जो 22 महीने के निचले लेवल 0.65% पर आ चुका है, जबकि नवंबर 2022 में खाद्य महंगाई दर 2.17% पर थी। वहीं फूड इंडेक्स महीने दर महीने 1.8% पर आ चुकी है।
- सब्जियों की महंगाई -20.1% से घटकर -35.95% हो गई है।
- अंडे, मीट और मछली की महंगाई 2.27% से बढ़कर 3.34% हो गई है।
- प्याज की महंगाई -19.2 से घटकर -25.97% पर आ गई है।
- फ्यूल एंड पावर में WPI 17.35% से बढ़कर 18.09% रहा।
- खाद्य तेल के लिए महंगाई दर -5.10% से घटकर -6.05% रही।
WPI का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहना चिंता का विषय है। ये ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर को प्रभावित करती है। यदि थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक उच्च रहता है, तो प्रड्यूसर इसे कंज्यूमर्स को पास कर देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर
रिटेल महंगाई भी 12 महीने के निचले स्तर पर
देश में खुदरा रिटेल महंगाई (CPI) में लगातार तीसरे महीने गिरावट देखने को मिली है। दिसंबर महीने में रिटेल महंगाई (CPI) घटकर 5.72% पर आ गई है। ये 12 महीनों का निचला स्तर है। नवंबर महीने में रिटेल महंगाई (CPI) 5.88% पर थी। वहीं अक्टूबर 2022 में रिटेल महंगाई 6.77% थी।एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कर सकती है, क्योंकि उसे भी सैलरी देना होता है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।