निकाय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी अध्यक्ष मायावती अगले वर्ष होने वाले लोक सभा चुनाव के दृष्टिगत पार्टी के जनाधार को बढ़ाने की तैयारियों में जुट गई है। इस संदर्भ में उन्होंने रविवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व झारखंड के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इन राज्यों में बसपा की तैयारियों और संगठन की गतिविधियों की समीक्षा की।
सरकारी नौकरियों में आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिए जाने से अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोग चिंतित और उद्वेलित हैं। बैकलाग के पद नहीं भरे जाने से भी इन वर्गों-समुदायों का सरकारों के प्रति अविश्वास बढ़ा है। इन परिस्थितियों में बसपा को अपना मिशनरी प्रयास और तेज करना होगा।
पहले संयुक्त और फिर सभी राज्यों की अलग-अलग बैठकों में मायावती ने कहा कि केंद्र और दिल्ली की सरकारों के बीच अधिकारों को लेकर अंतहीन टकराव जारी है। इससे वहां के गरीबों, छोटे व्यापारियों और मेहनतकश लोगों के हित बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। कांग्रेस, भाजपा और आप पार्टी की सरकार से दिल्ली की जनता को निराशा है।
बसपा अध्यक्ष ने जम्मू-कश्मीर में पार्टी कार्यकर्ताओं को विधान सभा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार रखने का निर्देश दिया। मायावती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विकास शांति, स्थिरता पर चर्चा की बजाय भ्रष्टाचार और सरकारी पद के दुरुपयोग के मामले ही मीडिया में छाये रहते हैं।
वहां भले ही राजनीतिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं लेकिन बसपा कार्यकर्ताओं को पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों पर समुचित ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वहां विधान चुनाव टलने की बजाय कभी भी हो सकते हैं।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सरकार का बदलना यह साबित करता है कि वहां जनता अपनी समस्याओं के प्रति जागरूक है। इसलिए बसपा को वहां अपनी कमियों को दूर करके आगे बढऩे का प्रयास लगातार जारी रखना चाहिए।
यह कहते हुए कि वहां विधान सभा चुनाव कभी भी कराये जा सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में भी पार्टी की कमियों को दूर करने पर उन्होंने जोर दिया। झारखंड में उन्होंने युवाओं को पार्टी से जोड़कर आगे बढऩे की रणनीति पर अमल करने की नसीहत दी।