राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के सितारे चमके, खेल नीति पर सरकार की नजर

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  • उत्तराखंड का अब तक का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रदर्शन।
  • गोवा राष्ट्रीय खेलों में 25वें स्थान पर रहने वाला उत्तराखंड इस बार चमका।
  • पिछली बार के मुकाबले राज्य ने अधिक पदक जीतकर नया कीर्तिमान रचा।
  • घरेलू माहौल में उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया।
  • खेल प्रेमियों और विशेषज्ञों ने खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की सराहना की।

देहरादून, 10 फरवरी: राष्ट्रीय खेलों के मंच पर मेजबान उत्तराखंड के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से राज्य के खेल प्रेमी उत्साहित और गौरवान्वित हैं। राज्य सरकार भी इस उपलब्धि से मुग्ध है। यह सफलता पहाड़ी राज्य के खिलाड़ियों की तीव्र ललक और संकल्प का परिणाम है, जिसने उन्हें पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई। 10,000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीतने वाली सोनिया इसका एक उदाहरण हैं। उनके जैसे सभी पदक विजेताओं ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। अब खेल प्रेमियों और विशेषज्ञों की नजर सरकार पर टिकी है कि वह इस उपलब्धि को आगे कैसे बढ़ाती है।

राष्ट्रीय खेलों की पदक तालिका में उत्तराखंड टॉप टेन में शामिल हो चुका है, और पदकों की संख्या 70 तक पहुंचने वाली है। यह अब तक हुए सभी राष्ट्रीय खेलों में राज्य का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। गोवा राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड 25वें स्थान पर था और तब राज्य के खाते में मात्र दो दर्जन पदक ही आए थे। लेकिन इस बार घरेलू परिस्थितियों में राज्य ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है।

इस सफलता से उत्साहित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमने खेल राज्य बनने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा दिए हैं। खेल के इस माहौल को और बेहतर बनाया जाएगा, ताकि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड खेलों की नई पहचान बना सके।”

अन्य राज्यों से सबक लेने की जरूरत

पिछले कुछ राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करने वाले राज्यों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो वे अपने ही घर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सफल रहे, लेकिन अन्य राज्यों में यह सफलता दोहराने में नाकाम रहे। 37वें राष्ट्रीय खेलों के मेजबान गोवा 92 पदकों के साथ नौवें स्थान पर था, लेकिन उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में वह मात्र नौ पदकों के साथ 25वें स्थान पर खिसक गया। 36वें राष्ट्रीय खेलों के मेजबान गुजरात ने 12वां स्थान प्राप्त किया था, लेकिन अब वह 19 पदकों के साथ 22वें स्थान पर है। इसी तरह, 34वें खेलों के मेजबान झारखंड, जो तब पांचवें स्थान पर था, अब 21 पदकों के साथ 16वें स्थान पर पहुंच गया है।

राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर चुके राज्यों में केरल का प्रदर्शन अन्य की तुलना में बेहतर रहा है। 35वें राष्ट्रीय खेलों में 162 पदकों के साथ दूसरा स्थान हासिल करने वाला केरल इस बार 40 पदकों के साथ नौवें स्थान पर बना हुआ है।

खेल राज्य बनने के लिए जरूरी है ठोस रणनीति

घरेलू परिस्थितियों में शानदार प्रदर्शन करने वाले राज्यों के लिए यह चुनौती होती है कि वे अन्य राज्यों में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में अपनी सफलता को दोहरा सकें। इन राज्यों ने मेजबानी के लिए बुनियादी ढांचागत सुविधाएं जुटाई थीं, लेकिन उनके खिलाड़ियों का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि उन सुविधाओं का उचित उपयोग नहीं हो सका।

उत्तराखंड के लिए यह महत्वपूर्ण सबक है। खेल विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड को खेल राज्य बनाने के लिए बुनियादी सुविधाओं का प्रबंधन और उनका प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यक है। महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स परिसर में करोड़ों की लागत से बना आइस स्केटिंग रिंक इसका उदाहरण है, जो शीतकालीन खेल प्रतियोगिता के बाद वर्षों से बेकार पड़ा हुआ है।

यदि राज्य सरकार इस तरह की खेल सुविधाओं का समुचित उपयोग सुनिश्चित करती है और खिलाड़ियों को निरंतर सहयोग प्रदान करती है, तो उत्तराखंड वास्तव में देश का प्रमुख खेल राज्य बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। अब समय आ गया है कि सरकार इस ऐतिहासिक प्रदर्शन को एक नई खेल क्रांति में तब्दील करे।

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