- परंपरा से तकनीक की ओर – सबको उम्मीद थी कि मेडल सेरेमनी पारंपरिक होगी, लेकिन हुआ कुछ अलग।
- मौली रोबोट ने संभाली कमान – रोबोट ने खिलाड़ियों को मेडल पहनाकर रचा इतिहास।
- तकनीक और खेल का संगम – आधुनिक तकनीक से जुड़कर खेलों ने नया आयाम हासिल किया।
- दर्शकों की चौंकाने वाली प्रतिक्रिया – सेरेमनी का अनोखा अंदाज देखकर हर कोई रह गया हैरान।
- खेलों में भविष्य की झलक – रोबोटिक मेडल सेरेमनी ने स्पोर्ट्स इवेंट्स के नए युग की ओर बढ़ाया कदम।
देहरादून – 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड ने तकनीकी नवाचार का नया उदाहरण पेश किया। एथलेटिक्स मुकाबलों के बाद आयोजित मेडल सेरेमनी का रूप पूरी तरह बदला नजर आया, जहां विजेता खिलाड़ियों के लिए मौली रोबोट मेडल लेकर आया। इसके बाद अतिथियों ने विजेताओं को पदक पहनाए।
मेडल सेरेमनी में पहली बार हुआ रोबोट का प्रयोग
शनिवार को महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में आयोजित एथलेटिक्स इवेंट की मेडल सेरेमनी में पहली बार रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। जैसे ही सेरेमनी शुरू हुई, रिमोट कंट्रोलर की कमांड से मौली रोबोट सक्रिय हुआ और ट्रे में मेडल लेकर विजेताओं के पास पहुंचा।
इसके अलावा, डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) मुकाबलों में एक रोवर ने भी सबका ध्यान आकर्षित किया। जहां आमतौर पर कर्मचारी खिलाड़ियों के पास चक्के पहुंचाते हैं, वहीं इस बार रोवर ने यह जिम्मेदारी निभाई।
आगे भी एथलेटिक्स इवेंट में मौली रोबोट करेगा काम
राष्ट्रीय खेलों में एथलेटिक्स के करीब 40 इवेंट होने हैं। खेल निदेशक प्रशांत आर्या के अनुसार, इनमें अधिकतर मेडल सेरेमनी में मौली रोबोट का ही इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, अन्य खेलों की मेडल सेरेमनी पारंपरिक तरीके से आयोजित हो रही हैं।
उत्तराखंड पुलिस और डीटाउन रोबोटिक्स की संयुक्त पहल
मौली रोबोट के विचार को उत्तराखंड पुलिस की ड्रोन टीम ने डीटाउन रोबोटिक्स के सहयोग से साकार किया। ड्रोन टीम के विपिन कुमार, दीपांकर बिष्ट, प्रशांत चंद्र, दीपक बिष्ट, अभिषेक कुमार और प्रज्ज्वल रावत ने इस प्रोजेक्ट पर करीब डेढ़ महीने तक काम किया।
राष्ट्रीय खेलों में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए थे कि राष्ट्रीय खेलों में आधुनिक तकनीक का भी समावेश किया जाए। इसी सोच के तहत रोबोटिक तकनीक का उपयोग किया गया।
अमित सिन्हा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय खेल ने कहा –
“हम एथलेटिक्स के विभिन्न इवेंट जैसे हैमर थ्रो, जेवलिन थ्रो, डिस्कस थ्रो में भी रोबोटिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, जिससे मानव संसाधन पर निर्भरता कम हो सके।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा –
“38वें राष्ट्रीय खेलों में खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन के साथ-साथ कई अभिनव पहल भी देखने को मिल रही हैं। तकनीकी नवाचार को खेलों का हिस्सा बनाकर हम भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।”
इस नई पहल से राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड की अलग पहचान बनी है, और भविष्य में भी तकनीक और खेलों के समन्वय को और अधिक बढ़ावा दिया जाएगा।