- 20 किमी रेस वॉक स्पर्धा में नया कीर्तिमान – छह भारतीय एथलीटों ने 14 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा।
- सर्विन सेबस्टियन (सर्विसेज) – शानदार प्रदर्शन के साथ रिकॉर्ड तोड़ने वालों में शामिल।
- सूरज पंवार (उत्तराखंड) – राष्ट्रीय खेलों में नया इतिहास रचने वाले प्रमुख खिलाड़ी।
- अमनजोत सिंह (पंजाब) और परमजीत सिंह (सर्विसेज) – दोनों एथलीटों ने रेस वॉक में दिखाया दम।
- राम बाबू (उत्तर प्रदेश) और मुकेश निठारवाल (राजस्थान) – रिकॉर्ड तोड़ने वाले अन्य एथलीट।
- गुरमीत सिंह का 2011 का रिकॉर्ड टूटा – भारतीय एथलेटिक्स में नया अध्याय जुड़ा।
देहरादून – राष्ट्रीय खेलों में मंगलवार को 20 किलोमीटर रेस वॉक स्पर्धा में उत्तराखंड के सूरज पंवार सहित देश के छह एथलीटों ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। इन सभी ने 14 साल बाद राष्ट्रीय खेलों का रिकॉर्ड तोड़ा, जो 2011 में झारखंड के गुरमीत सिंह के नाम दर्ज था। गुरमीत ने तब 1 घंटा 23 मिनट 26 सेकंड में रेस पूरी कर यह रिकॉर्ड बनाया था।
नया रिकॉर्ड सर्विसेज के सर्विन सेबस्टियन के नाम
इस बार यह नया रिकॉर्ड सर्विसेज के सर्विन सेबस्टियन के नाम दर्ज हुआ, जिन्होंने 1 घंटा 21 मिनट 23 सेकंड में रेस पूरी कर नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस उपलब्धि के साथ भारतीय एथलेटिक्स में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। यह न केवल खिलाड़ियों की फिटनेस और तकनीकी सुधार को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय प्रतिस्पर्धियों की बढ़ती क्षमता का संकेत भी देता है।
रिकॉर्ड तोड़ने वाले एथलीटों की सूची:
- सर्विन सेबस्टियन (सर्विसेज) – 1:21:23 (स्वर्ण पदक)
- सूरज पंवार (उत्तराखंड) – 1:21:34 (रजत पदक)
- अमनजोत सिंह (पंजाब) – 1:21:42 (कांस्य पदक)
- परमजीत सिंह (सर्विसेज) – 1:22:02
- राम बाबू (उत्तर प्रदेश) – 1:22:26
- मुकेश निठारवाल (राजस्थान) – 1:22:52
महिलाओं की 10 किमी रेस वॉक में भी बना नया रिकॉर्ड
महिलाओं की 10 किलोमीटर रेस वॉक में भी राष्ट्रीय खेलों का नया रिकॉर्ड स्थापित हुआ। 2023 में मणिपुर की वाई बाला देवी द्वारा बनाए गए 51:56 के रिकॉर्ड को नौ एथलीटों ने पीछे छोड़ दिया। हरियाणा की रवीना ने 45 मिनट 52 सेकंड में रेस पूरी कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उत्तराखंड की शालिनी ने रजत पदक और उत्तर प्रदेश की मुनिता प्रजापति ने कांस्य पदक जीता।
भारतीय एथलेटिक्स में नई उपलब्धि
खेल विशेषज्ञों का मानना है कि इस ऐतिहासिक रिकॉर्ड के टूटने से भारतीय एथलेटिक्स में एक नई उम्मीद जगी है। खिलाड़ियों की बेहतरीन फिटनेस, तकनीकी दक्षता और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। यह उपलब्धि भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर एक नई पहचान दिलाने में सहायक होगी।