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उमेश मर्डर के बाद 51 दिन में अतीक खत्म:कहा था- मीडिया की वजह से सेफ हूं; अब मीडियाकर्मी बनकर ही शूटर्स ने हत्या कर दी

जिस मीडिया से अतीक अहमद ने कहा था कि आप सबकी वजह से ही हिफाजत में हूं, उसी के सामने शनिवार रात उसकी हत्या कर दी गई। मीडियाकर्मी बनकर ही 3 शूटर्स ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। जिस अतीक के खौफ और आतंक से लोग दहशत में रहते थे, उस अतीक को ऐसी मौत मिलेगी किसी ने सोचा भी नहीं था।

उमेश पाल मर्डर के बाद 51 दिन अतीक के लिए कयामत के रहे। 15 दिन में दो बार वह साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। उम्रकैद की सजा हुई। तीसरे नंबर का बेटा असद एनकाउंटर में मारा गया। अतीक अभी 4 दिन की पुलिस रिमांड पर था। शनिवार को पूछताछ के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ी तो चेकअप के लिए अस्पताल लाया गया। यहीं उसकी और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई।

  • पहला किस्सा- अतीक ने कारोबारी का लखनऊ में किडनैप कराया, जेल में पिटाई की और 45 करोड़ की संपत्ति साइन करवा ली

राजधानी लखनऊ। कुछ गुंडे यहां से रियल स्टेट कारोबारी का किडनैप करते हैं। फिर उसे 300 किमी दूर देवरिया ले जाते हैं। वो भी सीधे जेल में। यहां कारोबारी की पिटाई की जाती है। प्रॉपर्टी के लिए सादे कागज पर साइन करवाए जाते हैं। घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है। ऐसा इसलिए ताकि लोगों में दहशत बनी रहे। ये घटना 26 दिसंबर 2018 की है। कारोबारी का नाम मोहित जायसवाल है।

29 दिसंबर, 2018 को मोहित जायसवाल ने अतीक के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इसमें लिखा, ‘अतीक ने अपने गुर्गों के जरिए गोमती नगर से उसका अपहरण कराया था। तमंचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया। यहां माफिया अतीक अहमद ने उसे एक सादे स्टाम्प पेपर पर दस्तखत करने को कहा।

जब मैंने इनकार कर दिया, तो अतीक ने बेटे उमर और गुर्गे गुफरान, फारुख, गुलाम और इरफान के साथ मिलकर मुझे तमंचे व लोहे की राड से बेतहाशा पीटा। बेसुध होते ही स्टाम्प पेपर पर दस्तखत बनवा लिया और करीब 45 करोड़ की सम्पति अपने नाम करा ली। अतीक के गुर्गों ने मेरी SUV गाड़ी भी लूट ली।’

अब अतीक के उस दौर को जानते हैं, जब उसकी तूती बोलती थी…

  • दूसरा किस्सा- जब 320 गाड़ियों का काफिला लेकर कानपुर पहुंचा

बात, 2016 की है। मुलायम सिंह यादव परिवार में आपसी खींचतान चल रही थी। अगले साल यानी मार्च 2017 में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होता है। सपा की लिस्ट आती है, इसमें अतीक को कानपुर कैंट से उम्मीदवार बनाया गया था।

14 दिसंबर को अतीक और उसके 60 समर्थकों पर इलाहाबाद के शियाट्स कॉलेज में तोड़फोड़ और मारपीट का आरोप लगता है। अतीक एक निलंबित छात्र की पैरवी करने कॉलेज गया था। कॉलेज के अधिकारियों को धमकाया था। वीडियो वायरल हो गया।

अभी मामला चल ही रहा था कि 22 दिसंबर को अतीक 320 गाड़ियों के काफिले के साथ प्रयागराज से कानपुर पहुंचा। अतीक खुद 80 लाख की ‘हमर’ गाड़ी पर सवार था। अतीक के 320 गाड़ियों के काफिले में 150 फॉर्च्यूनर कार,100 सफारी स्टॉर्म और 70 अन्य कारें शामिल थीं। उसके स्वागत के लिए प्रवेश द्वार बनाया गया था। चौराहों को फूलों से सजाया गया था।

अतीक के इस मेगा रोड शो के दौरान रास्ते में जाम से जनता त्राहि-त्राहि कर गई। मीडिया में हल्ला मचा। अखिलेश यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके थे। उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी में अतीक के लिए कोई जगह नहीं, अतीक सपा से बाहर कर दिए गए। वहीं शियाट्स मामले में हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए अतीक को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया।

फरवरी 2017 में अतीक गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से अतीक जेल में ही है। 2017 में अखिलेश यादव को चुनौती देते हुए अतीक ने कहा था, ‘कई बार निर्दलीय जीता हूं। टिकट कटता है, तो कट जाए। अपना टिकट खुद बना लूंगा।’

यह तस्वीर 22 दिसंबर 2016 की है। जब अतीक 320 गाड़ियों के काफिले के साथ हमर में सवार होकर प्रयागराज से कानपुर पहुंचा था।

अब जानिए.. अतीक के गैंग के खात्मे की स्क्रिप्ट कहां लिखी गई…

तारीख- 24 फरवरी 2023
जगह- धूमनगंज, प्रयागराज

शाम को करीब 5 बजे का वक्त रहा होगा। वकील उमेश पाल कार का गेट खोलकर उतरते हैं। इतने में 7 शूटर्स उन पर फायरिंग और बम फेंक देते हैं। उमेश चंद कदम ही भाग पाते हैं और अपने घर की गली में गिर जाते हैं। हमले में उमेश और उनके दो गनर की भी मौत हो जाती है। पूरी घटना, CCTV में कैद हो गई। बदमाशों ने इस हत्याकांड को 44 सेकेंड में अंजाम दिया।

उमेश, पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह थे। उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने अतीक अहमद के साथ अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस अतीक के दोनों बेटों के साथ अब तक करीब 10 संदिग्धों को हिरासत में लिया है।

अब पढ़िए.. अतीक गैंग के गेम ओवर का प्लान क्या है?
अतीक और उसकी गैंग का गेम ओवर करने का टॉस्क STF चीफ अमिताभ यश और IPS अनंत देव को मिला है। इन दोनों नामों से यूपी में माफिया थरथराते हैं। अमिताश यश की अगुआई में STF की 50 सदस्यीय टीम ने दुर्दांत डकैत गौरी को मार गिराया था। जबकि अनंत देव तिवारी ने आतंक का पर्याय बने डकैत ददुआ और ठोकिया के खात्मे के ऑपरेशन को लीड किया था। अनंत देव ने ही बिकरू कांड माफिया विकास दुबे को भी मार गिराया था।

अब अतीक गिरोह के खात्मे के लिए दोनों एकसाथ हैं। इनकी टीम में STF के करीब 200 जवान हैं। ये टीम यूपी के साथ 8 राज्यों में गिरोह के सदस्यों को तलाश रही थीं। एक टीम नेपाल और थाईलैंड भी गई थी। 4 शूटर्स के एनकाउंटर के बाद भी अभी मोस्टवांटेड साबिर, गुड्‌डू मुस्लिम और अरमान फरार हैं।

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