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काकोरी रेल एक्शन दिवस की वर्षगांठ पर आज सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ ने दिलाए पंच प्रण, बोले- तिरंगा हमारी शान

लखनऊ में मेरी माटी मेरा देश अभियान के शुभारंभ एवं काकोरी ट्रेन एक्शन दिवस की वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित वीरों को नमन कार्यक्रम में मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ मौजूद रहे। इस मौके पर मुख्‍यमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को पंच प्रण भी कराये। मुख्‍यमंत्री ने बच्‍चों से कहा क‍ि देश की सेवा करने वाले सैन‍िकों का हमेशा सम्‍मान करें और देश के अच्‍छे नागरिक होने का दाय‍ित्‍य न‍िभायेंगे।

मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ काकोरी रेल एक्शन दिवस की वर्षगांठ पर आयोजित ‘वीरों को नमन’ कार्यक्रम में सहभागिता कर रहें हैं। इस मौके पर मुख्‍यमंत्री योगी मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम का भी शुभारंभ करेंगे। पूरे देश में स्वाधीनता की 76वीं वर्षगांठ ‘मिट्टी को नमन-वीरों का वंदन’ करते हुए मनाई जा रही है। आज नौ अगस्त से प्रारंभ हो रहे स्वाधीनता दिवस उत्सव के तहत 15 अगस्त तक हर दिन गांव से लेकर राजधानी लखनऊ तक अनेक कार्यक्रम आयोजित होंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काकोरी एक्शन कांड की 98वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में बुधवार को मेरी माटी, मेरा देश अभियान की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि तिरंगा हमारी आन मान शान का प्रतीक है। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से 13 से 15 अगस्त तक अपनी जगह पर खड़े होकर माटी का वंदन और वीरों का नमन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लोग संकल्पित होकर सेल्फी लें और उसे अपलोड करें। साथ ही हर घर तिरंगा भी लहराएं।

आजादी का अमृत महोत्सव ने हम सबको एक नए भारत का दर्शन कराया है। एक ऐसा भारत जिसमें किसी भी नागरिक के साथ जाति, मत, मजहब, क्षेत्र भाषा के आधार पर कोई भेदभाव न हो। एक ऐसा भारत जो आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। एक ऐसा भारत जो अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति कर सकता है। आज से 98 वर्ष से पहले यह समय यहां हलचल का रहा होगा, क्या हुआ है कैसे हुआ है आगे क्या होगा यह तमाम प्रश्न लोगों के मन में कौंध रहे होंगे। वहीं अब विदेशी हुकुमत बहुत दिनों तक गुलाम नहीं बना रख सकती है यह जज्बा भी था।

इसी जज्बे के साथ पंडित राम प्रसाद बिस्मिल सहित अन्य क्रांतिकारियों के साथ जुड़कर अभियान को आगे बढ़ाने का काम किया था । काकोरी ट्रेन एक्शन में क्रांतिकारियो को जो पैसा मिला वह था 4679 रुपया था। देशी हुकूमत ने इन क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर फांसी लटकाने तक 10 लाख रुपये खर्च किया। अगर जज्बा हो सत्संकल्प हो लड़ने की इच्छा शक्ति हो बड़ी से बड़ी भौतिक ताकत को गिराया जा सकता है। उस समय के निरंकुश शासन को झुकने पर मजबूर किया था ।

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