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खंडहर हो चुकी हवेली पर भूख से भौंक रहे पालतू कुत्ते, हर 500 मीटर पर एक घर बुलडोजर से गिरा दिखा

अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद प्रयागराज में उसके पुश्तैनी इलाके चकिया और कसारी-मसारी में 48 घंटे कैसे रहे? पुश्तैनी इलाका इसलिए कह रहे हैं , क्योंकि ये वही इलाका है। जहां अतीक-अशरफ पैदा हुए, विधायक बने और दफनाए गए। यहीं की इलाहाबाद पश्चिमी सीट से अतीक 5 और अशरफ एक बार विधायक चुना गया।

हत्याकांड के अगले दिन यानी रविवार सुबह भास्कर रिपोर्टर प्रयागराज रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूरी अतीक की हवेलीनुमा पुश्तैनी मकान पहुंचे। जो अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। अहाते और सड़क पर पुलिस तैनात है। अंदर बाड़े में बंद अतीक के पाले 2 कुत्ते हैं। दोनों भूखे हैं। किसी की आहट पाते ही भौंकने लगते हैं।

चकिया से कसारी तक करीब हर 500 मीटर पर एक खंडहरनुमा घर है। ये घर अतीक के गुर्गों के हैं, जिन्हें बुलडोजर से गिराया गया है। गलियों में सन्नाटा है। माइक आईडी लिए हम लोग बढ़ रही रहे थे तभी एक घर की खिड़की के अंदर से आवाज आई। जो है ठीक है, लेकिन जो हुआ वो ठीक नहीं है। हमने पूछा बाहर आकर कुछ बोलिए…लेकिन फिर वह न बाहर आए न कोई जवाब आया।

अतीक के पुश्तैनी मकान में कुत्तों का बाड़ा है। यहां पहले 5 कुत्ते हुआ करते थे, अब सिर्फ 3 हैं। दो कुछ दिनों पहले मर गए।

अतीक-अशरफ को जिस कॉल्विन हॉस्पिटल के गेट पर शनिवार रात को गोलियों से भूना गया था। यह इलाका अतीक का गढ़ हुआ करता था। अतीक के पुश्तैनी मकान से बमुश्किल 2 से 3 किमी दूर है। स्थानीय लोग बताते हैं कि अतीक का काफिला पहले जब यहां से गुजरता था, तो सड़क के दोनों तरफ लोग खड़े होकर सलाम बोलते थे। आज उसकी हत्या के बाद यहां दुकानों के शटर गिर हुए हैं। बाजार में सन्नाटा पसरा है। इंटरनेट शटडाउन है। ऐसा लग रहा कि मानों सुबह ही नहीं हुई।

कॉल्विन से चकिया की ओर बढ़ते हैं तो एक से डेढ़ किमी की दूरी पर एक हवेलीनुमा गिरा मकान दिखता है। पूछने पर पता चलता है कि यह अतीक का दफ्तर था। जिसे प्रशासन ने गिरवा दिया। बगल में खड़ा एक शख्स तेज आवाज में कहता है, नहीं ये अतीक टॉर्चर रूम था, यहीं पर अतीक लोगों को बंधक बनाकर रखता था। उमेश पाल को जब किडनैप किया था न, तो यहीं पर रखा था। अभी भी खंडहर के ऊपर अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन का नीले रंग का पोस्टर और बसपा का झंडा लहरा रहा है। अतीक अहमद इसी की बालकनी से निकलकर लोगों का सलाम कबूल करता था।

हां से आगे बढ़ते हैं तो लगने लगता है कि चकिया में एंट्री हो चुकी है। कदम-कदम पर फोर्स। जगह-जगह बैरिकेडिंग। हर 500 मीटर पर एक मकान पर बुलडोजर चला हुआ। ये अतीक और उनके गैंग से जुड़े लोगों के घर हैं, जो 2017 में योगी सरकार के आने के बाद गिराए गए हैं। ऑफिस से डेढ़ से 2 किमी आने पर अतीक का पुश्तैनी घर है। वहां अब बस घर के निशान हैं, लेकिन आकार किसी शाही हवेली जैसा दिखता है।

अतीक के रुतबे का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि खंडहर में पड़ी पुरानी साइकिल, लोहे के रॉड तक गायब नहीं हुए हैं। आसपास के लोग बिना कैमरे में सामने आए बताते हैं कि यहीं पर अतीक की अदालत लगती थी। हनक ऐसी थी कि सड़क पर कोई हॉर्न भी नहीं बजाता था। मोहल्ले के कुछ लोग अतीक हत्याकांड से नाराज नजर आए। इन्हीं में एक कहते हैं, आप पता कर लीजिए अतीक के इलाके में 5 किमी के दायरे में कभी किसी बहन-बेटी का कोई सामान छीना गया हो कभी। या कोई गलत बात हुई हो।

पुश्तैनी मकान के करीब 1 बीघे में फैले अहाते के अंदर 7-8 जवान बैठे हैं। पूछने पर बताते हैं कि यहां सब नॉर्मल है। एक बाड़े के अंदर तीन कुत्ते बंद हैं। पुलिसवाले ही बताते हैं कि ये अतीक के कुत्ते हैं, आस्ट्रेलियन ब्रीड हैं, दो कुत्तों की कुछ दिन पहले भूख से मौत हो गई थी। अब यही बचे हैं, इनके देखभाल की जिम्मेदारी हीरा को दी गई। हीरा बगल में ही झाड़ू लगा रहे होते हैं। हीरा अतीक के नौकर थे, कुत्तों की देखभाल वही करते थे, अब नगर निगम ने उन्हें सैलरी पर रखा है। हीरा कहते हैं कि 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है। इंतजार है।

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