मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों में रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया है। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की समीक्षा बैठक में बुधवार को मुख्यमंत्री ने समय पर पदोन्नति देने की बात भी कही। कहा समयबद्ध पदोन्नति शासकीय सेवा का अनिवार्य हिस्सा है। हर कर्मचारी को समय पर इसका लाभ मिलना ही चाहिए।
पिछले छह वर्ष में वरिष्ठ पदों पर तैनाती की औसत अवधि में विस्तार हुआ है। वर्ष 2012-17 तक जिलाधिकारी स्तर पर जहां औसतन 12 माह का कार्यकाल होता था, आज न्यूनतम 18 माह की अवधि मिल रही है। इसी प्रकार अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव पद का पूर्व में औसतन कार्यकाल 17 माह का हुआ करता था, आज औसतन 26 माह है। इससे अधिकारियों को कार्य करने और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन का बेहतर मौका मिल रहा है।
कर्मचारियों की नियुक्ति, स्थानांतरण, अवकाश प्रबंधन, मेरिट आधारित आनलाइन ट्रांसफर, सेवा पुस्तिका प्रबंधन और कार्यमुक्ति के लिए मानव संपदा पोर्टल के उपयोग की सलाह भी सीएम ने दी। उन्होंने इसे और प्रभावी बनाए जाने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने पूर्व से स्थापित प्रशिक्षण समन्वय प्रकोष्ठ के कार्यों के साथ डिजिटल प्रशिक्षण का समन्वय करने और मानव संपदा पोर्टल एवं ई-अधियाचन संबंधी परियोजनाओं को संचालित करने के लिए सचिवालय प्रशासन द्वारा एक नए “कार्मिक अनुभाग-5” के सृजन के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और विभागाध्यक्षों को कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से संवाद बनाए रखने की नसीहत दी।
उनकी समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाए। मुख्यमंत्री ने लखनऊ में निर्माणाधीन राज्य प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी को जल्द क्रियाशील करने का निर्देश दिया। सचिवालय प्रशिक्षण संस्थान को उपाम के नवीन परिसर में स्थापित करने की बात भी उन्होंने कही। सीएम फेलो के रूप में सेवारत युवाओं को शासकीय सेवा में वेटेज के लिए बनाएं नीति मुख्यमंत्री ने आकांक्षात्मक विकास खंडों में कार्य कर रहे सीएम फेलो के कामकाज की तारीफ की।
कहा, फेलोशिप कार्यक्रम के तहत शोधार्थियों को प्रदेश सरकार के साथ नीति, शासन, प्रबंधन, कियान्वयन अनुश्रवण के कार्यों में सहभागिता का अवसर प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने सीएम फेलो की सेवावधि पूर्ण होने के बाद भविष्य में होने वाली शासकीय सेवाओं में इन युवाओं को वरीयता देने की बात कही। कहा, इन्हें आयु में छूट और अनुभव के लिए भारांक दिया जाना चाहिए। इस संबंध में स्पष्ट नीति तैयार करें।