मानसून की जोरदार दस्तक के बाद वर्षा का लंबा अंतराल खरीफ फसलों, विशेषकर धान के लिहाज से उपयुक्त नहीं माना जा रहा है। वैसे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश को छोड़कर पूरा प्रदेश ही कम वर्षा से प्रभावित लेकिन पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर इसका असर अधिक देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री के स्तर से भी मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था के साथ-साथ वैकल्पिक फसलों की बुवाई की नसीहत दी गई है।
बता दें कि राज्य में मानसून के प्रवेश से अब तक 281.2 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई है जो कि सामान्य तौर पर इस अवधि में होने वाली वर्षा का 84.3 प्रतिशत है। 29 जिलों में औसतन पचास प्रतिशत ही बारिश हुई है। राज्य में धान समेत अन्य फसलों की बोआई के आंकड़े संतोषजनक दिखाई देते हैं लेकिन कम बारिश से धान की फसल को नुकसान होने के पूरे आसार दिखाई दे रहे हैं।
इस वर्ष 9220 हजार हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य तय किया गया था जिसके सापेक्ष 7871 हजार हेक्टयेर में खेती का कार्य किया जा चुका है। प्रदेश में कम बारिश से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में गोंडा, महोबा, प्रयागराज, बांदा, मऊ, पीलीभीत, कुशीनगर, देवरिया, मिर्जापुर, चंदौली, कौशांबी, गाजीपुर, कानपुर नगर, आजमगढ़, आगरा, सोनभद्र, ललितपुर, गाजियाबाद, महाराजगंज, जौनपुर, अयोध्या, प्रतापगढ़, गौतमबुद्ध नगर, सीतापुर, भदोई, रायबरेली, बस्ती, चित्रकूट व सुल्तानपुर शामिल हैं।