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सुल्तानपुर: हिस्ट्रीशीटर कर रहे सुल्तानपुर में वारदातें, ‘ऑपरेशन दृष्टि’ कागज पर !

यूपी के सुल्तानपुर जिले में हिस्ट्रीशीटरों व आपराधिक पृष्ठभूमि के अपराधियों की मौज है ! क्योंकि यहां हिस्ट्रीशीटरों की हरेक हरकत व सक्रियता पर नजर रखने वाला पुलिस महानिदेशक का ‘हाइटेक’ अभियान भी थाने-पुलिस चौकियों की ‘जीडी व रोजनामचा’ पर ही चल रहा है। यहां अपराधी न सिर्फ ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दे रहे हैं बल्कि जघन्य वारदातों की साज़िशें रचकर इनका खाका भी तैयार कर रहे हैं। ..और सुल्तानपुर पुलिस वारदातों के घटित होने के बाद एफआईआर दर्ज कर सिर्फ लकीर पीटती नजर आ रही है।
बता दें कि डीजीपी के निर्देश पर प्रदेश के प्रत्येक जोन (संभाग) में हिस्ट्रीशीटरों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने व अपराधों पर नियंत्रण के लिये एडीजी जोन की ओर से ‘ऑपरेशन दृष्टि’ संचालित किया जा रहा है। फिलहाल सुल्तानपुर में भी ये अभियान बेहद लचर हालात में महज कागज पर ही संचालित है। जिसकी तस्दीक कर रही हैं नगर व देहात कोतवाली क्षेत्र में घटित ताजातरीन वारदातें। जिनमें ‘हार्डकोर’ हिस्ट्रीशीटर अपराधियों की भूमिका खुलकर प्रकाश में आईं। जिनका जिक्र करना जरूरी है। अभी बीते हफ्ते 6 अगस्त को सरेशाम शहर से सटे देहात कोतवाली क्षेत्रांतर्गत भुलकी चौराहे पर सनसनीखेज वारदात को हिस्ट्रीशीटरों ने अंजाम दिया। सिविल कोर्ट के युवा अधिवक्ता आज़ाद अहमद व उनके भाई मुनव्वर पर सरेशाम ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। जिससे अधिवक्ता आज़ाद अहमद की मौके पर ही मौत हो गई और गंभीर रूप से घायल मुनव्वर अभी भी ट्रामा सेंटर में जिंदगी के लिये संघर्ष कर रहा है। इस दुस्साहसिक वारदात में जिले के टॉप फाइव हिस्ट्रीशीटर सिराज पप्पू गैंग का नाम प्रकाश में आया। पुलिस ने उसे नामजद किया और उसकी गैंग के कई हिस्ट्रीशीटर साथियों की खोज कर रही है लेकिन नौ दिन होने को हैं, सुराग तक नहीं लगा सकी है। दूसरी वारदात है 16 जुलाई की। शहर के बीचोंबीच खैराबाद मुहल्ले में सूरज टाकीज चौराहे के निकट स्थित वरिष्ठ पत्रकार विक्रम बृजेंद्र सिंह के मकान पर हिस्ट्रीशीटर व आपराधिक पृष्ठभूमि के दर्जनों अपराधियों की भीड़ लेकर भूमाफियाओं ने भरी दोपहर हमला बोल दिया और बाउंड्रीवाल ढहाकर कब्जे का प्रयास शुरू कर दिया। करीब डेढ़ घंटे तक संदिग्ध परिस्थितियों में नगर कोतवाली पुलिस पहुंची ही नहीं। जब पुलिस कप्तान सोमेन बर्मा को मौके की स्थिति की जानकारी हुई तब जाकर पुलिस पहुंची। इस बीच पीड़ित गृहस्वामी पत्रकार का फोन भी नगर पुलिस के उच्चाधिकारियों ने नहीं उठाया। दिनदहाड़े इस दुस्साहसिक वारदात में घरहांखुर्द निवासी हिस्ट्रीशीटर आदिल व पंचरास्ता निवासी गोविंद सोनी पुत्र काशीनाथ नामजद हुए और कई प्रकाश में आए लेकिन आजतक एक को भी पुलिस अरेस्ट नहीं कर सकी है। जबकि सभी सम्बंधित घटनाओं को लेकर कप्तान सोमेन बर्मा ने तत्काल संलिप्त अपराधियों पर कठोर कार्रवाई का निर्देश मातहतों को दिया था। ऐसी ही कई अन्य वारदातें भी धनपतगंज, धमौर आदि थाना क्षेत्रांतर्गत घटित हुईं हैं जिनमें हिस्ट्रीशीटरों की भूमिका है। सवाल उठता है कि जब ‘ऑपरेशन दृष्टि’ संचालित है और पुलिस उनकी हरेक पल की सक्रियता को ट्रेस कर रही है तो ऐसा दुस्साहस करने की हिमाकत कैसे कर रहे हैं अपने साथियों के साथ ये हिस्ट्रीशीटर !

..क्या है ऑपरेशन दृष्टि

पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर व आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की निगरानी करने का हाईटेक तरीका अपनाया है। उनके घर व ठिकानों पर जाकर उनके चित्र लेती है। स्मार्ट मोबाइल के जरिये उनके मोबाइल नंबरों को अपने फोन ब कम्प्यूटर में फीड करती है। इसके बाद जीपीएस, गूगल मैप व अर्थ से भी उन्हें जोड़ते हुए उनकी हरेक सक्रियता पर नजर रखती है। यही नहीं स्थानीय हल्का सिपाही व दारोगा को ये हिस्ट्रीशीटर बराबर अपनी उपस्थिति आदि की खबर देते रहते हैं। अब सवाल है कि क्या वास्तव में पुलिस इतना सबकुछ कर रही है? यदि हां, तो कैसे इनकी वारदातों में संलिप्तता मिल रही है ! स्थानीय पुलिस इस विषय पर निरुत्तर है।

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