स्वामी निश्चलानंद ने हिंदुओं को सिर्फ अपने परिवार और आजीविका तक सीमित न रहने की सलाह दी और खालिस्तान के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया।

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शंकराचार्य ने कहा कि व्यासपीठ को कमजोर करने की साजिश हो रही है। उन्होंने गौरक्षकों को गुंडा कहना गलत बताते हुए मानसिकता में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया।

प्रयागराज के स्वास्तिक गार्डन गद्दोपुर फाफामऊ में बुधवार को पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भक्तों के साथ संवाद किया और खालिस्तान के मुद्दे पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि खालिस्तान का नारा भारत के खिलाफ एक विदेशी षड्यंत्र है, जिसका विरोध भारत के सिख करते हैं। शंकराचार्य ने बताया कि भारत से अलग हुए देशों की स्थिति बिगड़ी है, और देश को ऐसे अलगाववादी प्रयासों से बचाने के लिए सरकार को सतर्कता से काम करना चाहिए।

उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी भी राजनीतिक दल के समर्थक या विरोधी नहीं हैं, बल्कि धर्म और राष्ट्र के प्रति जो सही कदम उठाता है, उसके अनुसार विचार करते हैं। व्यासपीठ के दास बनाने की कोशिशों पर चिंता जताते हुए शंकराचार्य ने कहा कि यह अनुचित है, क्योंकि व्यासपीठ से ही राष्ट्र को सही दिशा मिलती है। गौरक्षकों को गुंडा कहने पर भी आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि इससे गोकशी करने वालों और विरोधियों का मनोबल बढ़ता है; इस सोच को बदलने की आवश्यकता है।

शंकराचार्य ने समाज की उन्नति के लिए हर हिंदू परिवार से प्रतिदिन एक रुपया और एक घंटा मठ-मंदिरों के लिए समर्पित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को सिर्फ अपने परिवार और पेट तक सीमित नहीं रहना चाहिए; समाज की रक्षा के लिए सभी वर्णों का योगदान जरूरी है। शंकराचार्य ने ब्राह्मणों में मंत्रबल और क्षत्रियों में बाहुबल के सामंजस्य पर जोर दिया ताकि समाज सशक्त हो सके। इस अवसर पर स्वामी निर्विकल्पानंद सरस्वती, प्रफुल्ल महाराज, हृषिकेश ब्रह्मचारी समेत कई अनुयायी उपस्थित रहे।

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