वैश्विक महामारी कोविड-19 ने जहां लाखों परिवारों के जीवन को प्रभावित किया, वहीं कुशीनगर की अनीता राय ने इसे अवसर में बदलते हुए केले को अपना सहारा बना लिया। योगी सरकार द्वारा कुशीनगर जिले के लिए केले को ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ओडीओपी) घोषित करना अनीता के लिए संजीवनी साबित हुआ। केले के औषधीय महत्व और प्रसंस्कृत उत्पादों पर काम करते हुए उन्होंने न केवल अपने परिवार को संभाला बल्कि रोजगार के अवसर भी उत्पन्न किए।

चेन्नई से मिला अनुभव बना प्रेरणा स्रोत
अनीता राय, जिनकी परवरिश चेन्नई में हुई थी, ने दक्षिण भारत में केले की तमाम प्रजातियों और उनके उपयोग को करीब से देखा था। जब उनके परिवार का पोल्ट्री व्यवसाय लॉकडाउन के कारण बर्बाद हो गया, तब उन्होंने केले से जुड़े उत्पादों पर काम करने का फैसला किया। पति राजनारायण राय के साथ, उन्होंने दक्षिण भारत और राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र (त्रिची) का दौरा किया, जहां केले से बनने वाले 70-80 उत्पादों का अध्ययन किया।
सरकारी समर्थन से मिली प्रेरणा
जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से अनीता ने अपनी योजना को प्रस्तुत किया, जिसे जिला प्रशासन का पूरा सहयोग मिला। हालांकि, उन्होंने अब तक सरकार से कोई आर्थिक सहायता नहीं ली है, लेकिन सरकारी और स्थानीय प्रशासनिक सहयोग उनके कारोबार के विस्तार में महत्वपूर्ण रहा है।
महिला सशक्तिकरण और रोजगार सृजन में योगदान
आज अनीता राय न केवल एक सफल उद्यमी हैं बल्कि एक मास्टर ट्रेनर भी हैं। उन्होंने अब तक 600 लोगों को केले के प्रसंस्कृत उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया है। उनके व्यवसाय में 6 महिलाएं नियमित रूप से काम करती हैं, जिससे सालाना लगभग 2200 रोजगार दिवस का सृजन होता है।
शून्य कचरे वाला व्यवसाय
अनीता की यूनिट केले के हर हिस्से का उपयोग कर ‘जीरो वेस्ट’ मॉडल पर काम करती है। उनके द्वारा तैयार उत्पादों में केले के तने का शुगर-फ्री जूस, आचार, आटा, सेवई, चिप्स, और फूल का आचार शामिल हैं। उनके उत्पादों की डिमांड उड़ीसा, पंजाब, नेपाल, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों तक पहुंच चुकी है।

समर्पण और मेहनत की मिसाल
अनीता राय की यह कहानी संघर्ष, नवाचार और साहस का बेहतरीन उदाहरण है। कुशीनगर के केले के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में उनकी भूमिका सराहनीय है।