Mahakumbh 2025 महाकुंभ न केवल आध्यात्मिकता और तपस्या का संगम है बल्कि यहां आए अनोखे बाबाओं ने इसे और अधिक रोचक बना दिया है। गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी का महासंगम अजब-गजब बाबाओं का भी संगम बन गया है। तंबुओं की नगरी जो अपनी भव्यता और आध्यात्मिकता से मंत्रमुग्ध कर रही है इन दिनों विभिन्न संतों के विशेष स्वरूपों और साधनाओं से गूंज रही है।
मृत्युंजय मिश्र, महाकुंभ नगर। महाकुंभ मेले में आस्था का सागर उमड़ पड़ा है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर जहां एक ओर श्रद्धालु अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए डुबकी लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अलग-अलग स्वरूप और नामधारी संतों की अलौकिक उपस्थिति और उनकी अनूठी साधनाएं मेले को खास बना रही हैं। तंबुओं की नगरी, जो अपनी भव्यता और आध्यात्मिकता से मंत्रमुग्ध कर रही है, इन दिनों विभिन्न संतों के विशेष स्वरूपों और साधनाओं से गूंज रही है। 45 किलो वजनी रुद्राक्ष की माला सिर पर धारण करने वाले रुद्राक्ष बाबा… पर्यावरण का संदेश दे रहे इनवायरमेंट बाबा… और 12 वर्ष से अन्य त्यागने वाले निर्मल बाबा। श्रद्धालु इन संतों से मिलने और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन धन्य करने के लिए उमड़ रहे हैं।
इंजीनियरिंग बाबा अभय सिंह
महाकुंभ के पवित्र माहौल में एक खास चेहरा हर किसी का ध्यान खींच रहा है। यह चेहरा है इंजीनियरिंग बाबा के नाम से विख्यात हो रहे जूना अखाड़ा के युवा संन्यासी का, जो आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद जीवन के अंतिम सत्य की खोज में संन्यास का मार्ग चुन लिया।
इंजीनियर बाबा, जिनका असली नाम अभय सिंह है। साधारण वेशभूषा और गहन चिंतनशील व्यक्तित्व के कारण विशेष आकर्षण बने हुए हैं। उनकी बातों में विज्ञान और आध्यात्म का अनोखा संगम देखने को मिलता है। वह कहते हैं, ”विज्ञान सत्य तक पहुंचने का माध्यम हो सकता है, लेकिन अंतिम सत्य आत्मज्ञान से ही प्राप्त होता है।” हरियाणा से निकलकर आईआईटी मुंबई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग तक पहुंचने और फिर जीवन के अंतिम सत्य की खोज में संन्यास का रास्ता चुनने तक की उनकी कहानी लोगों को सोचने पर विवश करती है।