मेरठ: केमिकल फैक्ट्री मालिक ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, ऑफिस में मिला शव

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  • मेरठ के मोहनपुरी में केमिकल फैक्ट्री मालिक ने की आत्महत्या – ऑफिस में पंखे से लटका मिला शव।
  • स्वजन की चिंता के बाद हुआ खुलासा – देर रात तक घर न पहुंचने पर फैक्ट्री पहुंचे परिजन।
  • फैक्ट्री में शव देख मचा हड़कंप – मौके पर चीख-पुकार, पुलिस को दी गई सूचना।
  • पुलिस ने शव को कब्जे में लिया – पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जांच जारी।
  • आत्महत्या की वजह का खुलासा नहीं – पुलिस मामले की गहराई से कर रही जांच।

मेरठ के मोहनपुरी इलाके में स्थित एक केमिकल फैक्ट्री के मालिक गौरव रस्तोगी ने अपने ऑफिस में पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। देर रात तक घर न पहुंचने पर जब स्वजन फैक्ट्री पहुंचे तो वहां गौरव का शव पंखे से लटका मिला। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया और स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

घटना का विवरण

गौरव रस्तोगी की केमिकल फैक्ट्री बुद्ध विहार, मोहनपुरी में स्थित थी, जबकि उनका निवास हनुमानपुरी, सूरजकुंड रोड पर था। गौरव ने फैक्ट्री की दूसरी मंजिल पर अपना ऑफिस बनाया हुआ था। जब रात 9 बजे तक वे घर नहीं पहुंचे और उनका मोबाइल भी बंद मिला तो स्वजन ने उनके दोस्तों से संपर्क किया। जब किसी से भी कोई जानकारी नहीं मिली, तो रात 11 बजे स्वजन और उनके दोस्त फैक्ट्री पहुंचे, जहां गौरव का शव पंखे से लटका मिला और नीचे एक ड्रम रखा हुआ था।

पुलिस जांच जारी

घटना की सूचना मिलते ही सिविल लाइंस थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर मोर्चरी भेज दिया। थाना प्रभारी महावीर सिंह के अनुसार, अभी तक मृतक के परिवार की ओर से कोई तहरीर नहीं दी गई है। पुलिस आत्महत्या के कारणों की जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई परिजनों से बातचीत के बाद की जाएगी।


युवक को जिंदा जलाने के मामले में दंपती को आजीवन कारावास

मेरठ, मेरठ की जिला अदालत ने युवक को पेट्रोल डालकर जिंदा जलाने के मामले में दोषी उमेश और उसकी पत्नी पूनम को आजीवन कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

मामले का विवरण

यह घटना 26 जून 2016 की है, जब शिवशक्ति नगर निवासी संजय सिंघल ने अपने भाई रवि शंकर सिंघल की हत्या का आरोप लगाते हुए ब्रह्मपुरी थाना में मुकदमा दर्ज कराया था। संजय के अनुसार, मोहल्ले में रहने वाले उमेश पुत्र अजयपाल और उसकी पत्नी पूनम ने रवि शंकर के साथ मारपीट कर पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया था। उपचार के दौरान रवि शंकर की मौत हो गई थी।

कोर्ट का फैसला

पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया था। कोर्ट पैरोकार दिलशाद ने ऑपरेशन कन्विक्शन के तहत प्रभावी पैरवी की और सभी आवश्यक साक्ष्य न्यायालय में पेश किए। जिला जज रजत सिंह जैन ने सभी उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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