Shahjahanpur News: दिल्ली ही नहीं, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। यहां एक्यूआई 400 के पार पहुंच गया है। प्रदूषण के बढ़ने से लोगों को सांस से संबंधित समस्या होने लगी है।
शाहजहांपुर में वायु की गुणवत्ता इस समय खतरनाक स्तर पर है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) चार से पांच सौ के बीच पहुंच गया है। ऐसे में सांस से संबंधी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। माना जा रहा है कि जब तक तेज अंधड़ या बारिश नहीं होगी। इसमें सुधार नहीं होगा। डॉक्टरों ने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी है। जिले में पराली जलाने की अब तक 113 घटनाएं हो चुकी हैं। इससे भी वायु प्रदूषण बढ़ा रहा है।
एसएस कॉलेज के रसायन विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक सिंह ने बताया कि सोमवार सुबह तेज हवा चली। इस वजह से सुबह आठ बजे चौक में एक्यूआई 380 दर्ज किया गया। हवा धीमी होने और धूप निकलने के बाद एक्यूआई फिर बढ़ गया। अजीजगंज क्षेत्र में दोपहर दो बजे एक्यूआई 480 रहा। वर्तमान में एक्यूआई चार से पांच सौ के बीच है। बताया कि हर वर्ष अक्तूबर के आसपास वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है।
पश्चिम से उत्तर चलने वाली हवा दिल्ली की ओर से प्रदूषण को साथ ला रही है। एक्यूआई खराब होने का एक कारण यह भी है। कहा कि पराली जलाने की घटनाओं का बढ़ना, खेत की जोताई होना, खनन, हाईवे आदि निर्माण कार्य चलने से धूल उड़ रही है।
एक्यूआई – वायु गुणवत्ता
0-50 – अच्छा
51-100 – संतोषजनक
101-200 – मध्यम
201-300 – खराब
301-400 – खतरनाक
401-500 – गंभीर श्रेणी
पीएम-10 बढ़ने से आंखों में हो रही जलन
पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) यानी छोटे धूलकण को माइक्रोमीटर या माइक्रोन में मापा जाता है। वर्तमान में शहर में पीएम-10 छह सौ के करीब है। इस वजह से बाइक चलाते समय आंखों में जलन या आंसू आने की समस्या पैदा हो रही है।
ये बरतें सावधानी
- कचरा नहीं जलाएं, पर्दे और घर की सफाई करते हुए मास्क लगाएं।
- घर के बाहर निकलने पर मास्क लगाएं, धूल-धुएं व प्रदूषण से बचें।
- रोगी नियमित रूप से दवा लें, डॉक्टर की सलाह भी लेते रहें।
मेडिकल कॉलेज में बढ़े सांस के मरीज
बदलते मौसम में प्रदूषण के बढ़ने से लोगों को सांस से संबंधित समस्या होने लगी है। राजकीय मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एमएल अग्रवाल बताते हैं, मेडिसिन विभाग की ओपीडी में आने वाले 200 मरीजों में 20 सांस के मर्ज से पीड़ित आ रहे हैं। पहले चार-पांच मरीज आते थे।
फेफड़ों में धूल के कण जाने से एलर्जी व संक्रमण होता है। साथ ही निमोनिया होने का खतरा भी रहता है। टीबी एवं चेस्ट रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. अंकिता वर्मा ने बताया कि सांस के रोगियों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। मौसम बदलने के बाद से ओपीडी में उनके पास 125 मरीज आ रहे हैं। इनमें 80 सांस के रोग से संबंधित होते हैं।