परीक्षाओं में धांधली और नकल की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन ने कई प्रभावी कदम उठाए हैं। इनमें बायोमेट्रिक सत्यापन, वीडियोग्राफी, सीसीटीवी निगरानी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का उपयोग शामिल है।

रीट परीक्षा में AI फेस टेक्नोलॉजी का उपयोग:

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान ने फरवरी और मार्च 2025 में होने वाली दो बड़ी परीक्षाओं को ‘जीरो एरर मिशन मोड’ पर आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसमें बायोमेट्रिक सत्यापन, वीडियोग्राफी, सीसीटीवी कैमरे और AI फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का पूरा उपयोग किया जाएगा। इससे परीक्षा केंद्रों पर उम्मीदवारों की उपस्थिति और पहचान की सटीकता सुनिश्चित होगी, जिससे नकल और धोखाधड़ी की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा।

परीक्षा में धांधली रोकने के लिए प्रशासन के कदम:

  1. बायोमेट्रिक सत्यापन: उम्मीदवारों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक डेटा जैसे फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैनिंग का उपयोग किया जाता है।
  2. सीसीटीवी निगरानी: परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों की स्थापना से परीक्षा के दौरान की गतिविधियों की निगरानी की जाती है, जिससे नकल और अन्य अनियमितताओं पर नियंत्रण पाया जाता है।
  3. AI फेस रिकॉग्निशन: AI आधारित फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी से उम्मीदवारों की पहचान की जाती है, जिससे परीक्षा केंद्रों पर उनकी उपस्थिति की सटीकता सुनिश्चित होती है।
  4. कड़े कानूनी प्रावधान: परीक्षा में धांधली करने वालों के लिए कड़े कानूनी प्रावधान हैं, जिनमें तीन से पांच साल तक की कैद और दस लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है।

प्रशासन द्वारा उठाए गए ये कदम परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। AI फेस टेक्नोलॉजी का उपयोग विशेष रूप से उम्मीदवारों की पहचान और उपस्थिति की सटीकता में सुधार करता है, जिससे नकल और धोखाधड़ी की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण संभव होता है।

इन उपायों के माध्यम से, प्रशासन परीक्षा प्रणाली को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।

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