राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद (उत्तर प्रदेश) के महामंत्री श्री अतुल मिश्रा ने फिजियोथेरेपिस्टों के चयन प्रक्रिया को लेकर सरकारी नियुक्तियों पर अपनी चिंता व्यक्त की है।
फिजियोथेरेपिस्टों के पदों के लिए सेवा नियमावली के खिलाफ नियुक्तियों के वेरीफिकेशन के मामले में महामंत्री अतुल मिश्रा ने शासन के निर्णयों को प्रशंसा नहीं की, और इसका विरोध किया है।
उन्होंने बताया कि एसजीपीजीआई के अंतर्गत फिजियोथेरेपी पद पर नियुक्ति हेतु वर्ष 2021-22 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था, जिसमें शैक्षिक योग्यता के रूप में 3 वर्ष का डिप्लोमा इन फिजियोथेरेपी की मांग की गई थी।
महामंत्री ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश में केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ही इस पाठ्यक्रम को संचालित किया जा रहा था, जबकि अन्य राज्यों में कई संस्थान इस पाठ्यक्रम को चला रहे थे। इसके बावजूद, इस संविदानिक निर्णय के बावजूद, फिजियोथेरेपिस्ट सेवा के लिए न्यूनतम शैक्षिक अर्हता को बदल दिया गया है।
महामंत्री ने इसका सख्त विरोध किया और सरकारी नियुक्तियों के वेरीफिकेशन की मांग की है, ताकि योग्य उम्मीदवारों को इस नियोक्ति प्रक्रिया में न्याय मिल सके।
इसके अलावा, वहने आने वाले विवादों को देखते हुए उन्होंने सरकारी नियोक्तियों की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए सरकार से निर्देश दिया है और इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की बू आ रही है, उसे रोकने के लिए कठिन कदम उठाने का कहा है।
महामंत्री ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से इस मामले में संशोधन करने का अनुरोध किया है ताकि फिजियोथेरेपिस्टों के लिए न्यायपूर्ण और संविदानिक नियुक्तियां हो सकें।