23 जून साल 2013। एजबेस्टन का मैदान और चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल। एमएस धोनी की कप्तानी में आज से ठीक 10 साल पहले टीम इंडिया ने इंग्लैंड को उसी के घर में घुसकर हार का स्वाद चखाया था। माही की जादुई कप्तानी का फैन पूरा इंग्लिश खेमा भी हुआ था। धोनी ने इंग्लैंड के जबड़े से जीत को छीना था और तीन आईसीसी ट्रॉफी पर कब्जा करने वाले दुनिया के पहले कप्तान बने थे।
माही का मास्टर स्ट्रोक आया काम
धोनी ने 18वें ओवर के लिए जब गेंद ईशांत शर्मा के हाथों में थमाई, तो हर किसी को यह फैसला एकदम गलत लग रहा था। हालांकि, माही को खुद और अपने अनुभवी गेंदबाज पर फुल भरोसा था। 18वें ओवर का आगाज अच्छा नहीं हुआ था। ओवर की दूसरी ही गेंद पर मोर्गन ने ईशांत शर्मा को छक्का जड़ दिया था और अगली लगातार दो गेंद ईशांत वाइड डाल चुके थे। दबाव ईशांत पर था। ऐसे में माही विकेट के पीछे से दौड़ते हुए आए और उन्होंने मानो ईशांत को गुरुमंत्र दे डाला।
दो गेदों में 2 विकेट
दो वाइड के बाद अगली दो गेंदों पर ईशांत ने इंग्लैंड के सेट बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखा दी। ईशांत का पहला शिकार इयोन मोर्गन बने, तो अगली गेंद पर रवि बोपारा अश्विन को कैच थमा बैठे। ईशांत ने मैच पूरी तरह से पलट डाला था। भारत की जीत की उम्मीदें जग चुकी थीं। हालांकि, अभी काम अधूरा था।
अश्विन का आखिरी ओवर
ईशांत के बाद रवींद्र जडेजा ने भी 19वां ओवर कमाल का फेंका था और सिर्फ चार रन खर्च किए थे। ऐसे में आखिरी ओवर में जीत के लिए इंग्लैंड को 14 रन की दरकार थी। भुवनेश्वर कुमार का एक ओवर शेष था, तो उमेश यादव ने सिर्फ दो ओवर डाले थे। इन सबके बावजूद कप्तान धोनी ने आखिरी ओवर फेंकने के लिए रविचंद्रन अश्विन पर दांव चला।